महाराष्ट्र सरकार को गिराने के प्रयासों में भाजपा को कोई नहीं मिलेगी सफलता: शरद पवार

Sharad Pawar

राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने कहा, ‘‘एक साल हो चुके हैं...उन्हें (भाजपा) दो महीने में सरकार गिरानी थी, फिर उन्हें छह महीने में ऐसा करना था, फिर आठ महीने में। लेकिन कुछ नहीं होगा। यह सरकार स्थिर है और कार्यकाल पूरा करेगी।’’

मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सुप्रीमो शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार को गिराने के प्रयासों में भाजपा को कोई सफलता नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार स्थिर है और अपना कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे ‘सत्ता का दुरुपयोग’ बताया। पवार ने कहा, ‘‘(ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को सत्ता में आए हुए) एक साल हो चुके हैं...उन्हें (भाजपा) दो महीने में सरकार गिरानी थी, फिर उन्हें छह महीने में ऐसा करना था, फिर आठ महीने में। लेकिन कुछ नहीं होगा। यह सरकार स्थिर है और कार्यकाल पूरा करेगी।’’ 

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शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की एमवीए सरकार ने पिछले महीने एक साल पूरा कर लिया। गठबंधन के भागीदारों के बीच वैचारिक दूरियों के कारण इस अवधि में भाजपा के कई नेता ऐसा कहते रहे कि यह सरकार नहीं चल पाएगी। भाजपा और शिवसेना 2019 के विधानसभा चुनाव में साथ थी, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद के बाद दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए। इसके बाद जैसा कि कहा जाता है पवार ने ही शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस को साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। महाराष्ट्र के चार बार मुख्यमंत्री रहे और केंद्र में मंत्री रह चुके कद्दावर नेता पवार राज्य में ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के कामकाज के लिए मार्गदर्शक के तौर पर देखे जाते हैं।

शिवसेना के नेता और ‘सामना’ के संपादक संजय राउत की पत्नी वर्षा को ईडी के नोटिस के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘‘यह सत्ता का दुरुपयोग है।’’ ईडी ने पीएमसी बैंक से जुड़े 4300 करोड़ रुपये के धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए वर्षा को तलब किया है। पवार ने कहा, ‘‘उन्होंने एक बार मुझे भी नोटिस देने की कोशिश की थी, लेकिन उसे वापस ले लिया गया। मैं बैंक के बोर्ड का सदस्य भी नहीं था और ना ही बैंक में मेरा कोई खाता है।’’ पिछले साल ईडी ने महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (एमएससीबी) में कथित घोटाला के संबंध में एक आपराधिक मामला दर्ज किया था और पवार, उनके भतीजे अजित पवार तथा अन्य की भूमिका एजेंसी की जांच के घेरे में आयी थी। 

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ईडी ने पवार को समन नहीं किया लेकिन राकांपा अध्यक्ष ने उस समय जोर दिया था कि वह जांच एजेंसी के कार्यालय जाएंगे। कानून और व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर राज्य पुलिस ने पवार को मनाया, जिसके बाद उन्होंने कार्यालय जाने का विचार छोड़ दिया। शिवसेना लगातार आरोप लगा रही है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां अनुचित तरीके से उसके नेताओं को निशाना बना रही है। हाल में राकांपा में शामिल हुए भाजपा के पूर्व नेता एकनाथ खडसे को भी पुणे में भूमि के सौदे में धनशोधन की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए ईडी ने तलब किया था। पिछले महीने ईडी ने धनशोधन के मामले में शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाइक के परिसरों पर छापेमारी की थी।

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