Mainpuri Loksabha Seat: सपा के गढ़ में यादव वोट बैंक की सियासत को धार देगी भाजपा

Akhilesh Yadav
ANI

मैनपुरी लोकसभा सीट को सपा का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। बीते 10 चुनावों से सपा यहां अजेय रही है। कारण, लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की बहुलता को माना जाता है। यहां चार लाख से अधिक यादव मतदाता हैं।

लखनऊ। मैदान चाहें खेल का हो या फिर चुनावी जंग का, प्रबल प्रतिद्वंदी को उसी के दांव से हराने का मजा ही कुछ और होता है। इसके लिये काफी मेहनत करनी पड़ती है तो दांवपेंच भी खूब चले जाते हैं। ऐसा ही नजारा समाजवादी पार्टी के मजबूत गढ़ मैनपुरी एवं फिरोजाबाद में देखने को मिल रहा है। सपा के सबसे मजबूत गढ़ों को ढहाने के लिए भाजपा भी उस यादव वोट बैंक में सेंधमारी का दांव खेल रही है, जिस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को काफी गरूर है। इसके लिए बीजेपी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को सियासी अस्त्र के रूप में आगे किया है। मैनपुरी, फिरोजाबाद आदि सीटों पर बीजेपी मोहन यादव की सभाएं तो करेगी हीं, भाजपा अपने इस स्टार प्रचार से ऐसे क्षेत्रों में घर-घर जनसंपर्क कराने की रणनीति भी तैयार कर रही है जहां यादव वोटर बड़ी संख्या में मौजूद हैं।

इन सीटों की बात की जाये तो मैनपुरी लोकसभा सीट को सपा का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। बीते 10 चुनावों से सपा यहां अजेय रही है। कारण, लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की बहुलता को माना जाता है। यहां चार लाख से अधिक यादव मतदाता हैं। उधर, फरोजाबाद सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या चार लाख से अधिक मानी जाती है। एटा में यादव निर्णायक स्थिति में तो नहीं हैं, परंतु संख्या बल ठीकठाक है। भाजपा का सबसे ज्यादा जोर मैनपुरी और फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर है। मैनपुरी सीट भाजपा वर्ष 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी नहीं जीत पाई थी। इस बार भाजपा अपने अन्य वर्गों के मतदाताओं के साथ यादव मतों का साथ पाने की बड़ी तैयारी में लगी है।

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भाजपा नेताओं के मुताबिक, मैनपुरी सीट पर मोहन यादव की सभाओं और समय के लिए हाईकमान से अनुरोध किया जा चुका है। जसवंतनगर और करहल क्षेत्र में उनकी जनसभाएं करानी हैं। इसके अलावा दो से तीन दिन इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों के यादव बाहुल्य इलाकों में डोर टू डोर जनसंपर्क कराने की कोशिश होगी। मोहन यादव से प्रचार कराने का यही फार्मूला फिरोजाबाद, एटा और अन्य यादव बहुल सीटों पर अपनाया जाएगा। जिसका फायदा अगर बीजेपी को मिल गया तो भविष्य के लिए भी अखिलेश की राह मुश्किल हो जायेगी।

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