बसपा सांसद का दावा, सरकार एमएसपी पर कानून के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे रही है

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चुनाव वाले राज्य, उत्तर प्रदेश के लोकसभा के सदस्य ने अपने पक्ष को सामने लाने के लिए तोमर के एक पत्र को ट्विटर पर साझा किया। अली ने पिछले साल एक दिसंबर को शून्यकाल के दौरान एमएसपी पर कानून बनाने का मुद्दा उठाया था।

नयी दिल्ली| बसपा के लोकसभा सदस्य दानिश अली ने शनिवार को केंद्र सरकार पर संसद के शीतकालीन सत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की उनकी मांग का ‘‘संतोषजनक जवाब’’ देने में विफल रहने का आरोप लगाया।

उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ‘‘केवल एमएसपी की प्रक्रिया की व्याख्या करके वास्तविक मुद्दे से बचने की कोशिश कर रहे हैं।’’

चुनाव वाले राज्य, उत्तर प्रदेश के लोकसभा के सदस्य ने अपने पक्ष को सामने लाने के लिए तोमर के एक पत्र को ट्विटर पर साझा किया। अली ने पिछले साल एक दिसंबर को शून्यकाल के दौरान एमएसपी पर कानून बनाने का मुद्दा उठाया था।

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री ने 21 फरवरी को बसपा सांसद को पत्र लिखा था। तोमर ने लिखा कि केंद्र सरकार, कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए हर साल दोनों फसल मौसमों में उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) की 22 प्रमुख कृषि वस्तुओं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा करती है।

मंत्री ने कहा कि इसके अलावा, तोरिया और छिलके वाले नारियल के लिए एमएसपी भी क्रमशः रेपसीड, सरसों और खोपरा के एमएसपी के आधार पर तय किया जाता है। तोमर ने बताया, ‘‘सरकार अपनी विभिन्न हस्तक्षेप योजनाओं के माध्यम से किसानों को लाभकारी मूल्य भी देती है।

इसके अलावा, समग्र बाजार एमएसपी और सरकार के खरीद कार्यक्रमों की घोषणा के अनुरूप काम किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी पर या उससे अधिक की निजी खरीद होती है।’’ मंत्री ने कहा, सरकार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों के माध्यम से धान और गेहूं के लिए मूल्य समर्थन प्रदान करती है।

साथ ही, विभिन्न प्रकार के पोषक-अनाज और मक्का की खरीद राज्य सरकारों द्वारा स्वयं एफसीआई के परामर्श से की जाती है ताकि वे लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के साथ-साथ अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत उन्हें वितरित कर सकें।

उन्होंने अपने पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के तहत मूल्य समर्थन योजना में पंजीकृत किसानों से उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) के तिलहन, दाल और नारियल की खरीद की जाती है। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) और जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (जेसीआई) के माध्यम से सरकार द्वारा एमएसपी पर कपास और जूट की भी खरीद की जाती है।

तोमर ने कहा कि एमएसपी पर सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रभावी खरीद करने और किसानों को एमएसपी का अधिकतम लाभ प्रदान करने के लिए, संबंधित राज्य सरकार की एजेंसियों और नेफेड और एफसीआई जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा उत्पादन, विपणन योग्य अधिशेष, किसानों की सुविधा तथा अन्य उपस्कर (लॉजिस्टिक्स) और बुनियादी ढांचे की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए खरीद केंद्र खोले जाते हैं।

यह दावा करते हुए कि वह सरकार के उत्तर से संतुष्ट नहीं है, अली ने कहा, ‘‘यह किसानों के मुद्दों के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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