फोन टैपिंग अनुमति पर जानकारी का खुलासा नहीं कर सकते: गृह मंत्रालय

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[email protected] । Feb 14 2019 6:19PM

गृह मंत्रालय ने आरटीआई कानून के तहत मिली छूट की तीन धाराओं का जिक्र किया जिसके तहत बिना कारण बताए सूचना नहीं दी जा सकती है। अगर कोई सरकारी अधिकारी सूचना देने से इंकार करता है तो उसके लिए कारण बताना अनिवार्य होता है।

नयी दिल्ली। गृह मंत्रालय ने कहा है कि फोन टैपिंग के लिए केंद्रीय एजेंसियों को अनुमति दिए जाने संबंधित जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे देश हित प्रभावित होंगे, किसी व्यक्ति को खतरा हो सकता है या जांच की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। गृह मंत्रालय ने यह बात एक आरटीआई आवेदन पर दिये गए जवाब में कही है। आवेदक ने जानना चाहा कि मंत्रालय ने केंद्रीय एजेंसियों को 2009 से 2018 के बीच कितनी बार फोन टैपिंग की मंजूरी दी। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि किसी एजेंसी ने कितनी बार फोन टैप करने की अनुमति मांगी और मंत्रालय ने कितनी बार अनुमति देने से इंकार कर दिया।

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आवेदक ने मंत्रालय से मामलों की जानकारी, किसी व्यक्ति विशेष की जानकारी या फाइल नोटिंग जैसा कोई विशिष्ट ब्यौरा नहीं मांगा। गृह मंत्रालय ने आरटीआई कानून के तहत मिली छूट की तीन धाराओं का जिक्र किया जिसके तहत बिना कारण बताए सूचना नहीं दी जा सकती है। अगर कोई सरकारी अधिकारी सूचना देने से इंकार करता है तो उसके लिए कारण बताना अनिवार्य होता है। मंत्रालय ने आंकड़े नहीं देने के लिए आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (ए) का सहारा लिया। इस धारा के तहत ऐसी सूचना का खुलासा करने से छूट है जिससे भारत की संप्रभुता, एकता, सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हित प्रभावित होते हैं या दूसरे देशों से संबंध खराब होने की आशंका हो या इससे हिंसा भड़कती हो।

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गृह मंत्रालय ने आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (जी) और 8 (1) (एच) का भी सहारा लिया जिसके तहत क्रमश: किसी व्यक्ति की जिंदगी को खतरा पैदा होने और जांच की प्रक्रिया बाधित होने का हवाला देकर सूचना नहीं दी जा सकती है। पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने पीटीआई से कहा, ‘यह पूरी तरह बकवास है। इन धाराओं का इस तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। यह मुख्य जनसूचना अधिकारी की तरफ से दिया गया गलत आदेश है।’ उन्होंने कहा, ‘इस तरह का ब्योरा आरटीआई कानून की धारा 4 के तहत सार्वजनिक रूप से प्रसारित किया जाना चाहिए था। इस तरह की छूट का जब हवाला दिया जाता है तो उन्हें उचित ठहराने के लिए मजबूत कारण बताए जाने चाहिए।’ आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने भी आरोप लगाए कि यह सीपीआईओ की तरफ से गलत आदेश है।

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