सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति का मामला, अवमानना का आरोप

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अजय कुमार । Jun 2 2023 4:28PM

अब उनकी जगह 1988 बैच के विजय कुमार को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया है। विजय कुमार मौजूदा समय में डीजी विजलेंस व सीबीसीआईडी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अब उन्हें वरिष्ठता के क्रम में कार्यवाहक डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री होने का तंज कसके नौकरशाही में नई सियासत को जन्म दे दिया है। अखिलेश ने योगी पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री होने का तंज तब कसा गया जब उनकी सरकार द्वारा विजय कुमार को नया कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया। यह लगातार तीसरा मौका है जब प्रदेश को कार्यवाहक डीजीपी मिला है। इसी को आधार बनाकर अखिलेश ने कहा, ‘अब मुझे ये लगता है कि कहीं यूपी के मुख्यमंत्री भी कहीं कार्यवाहक तो नहीं हैं। यूपी के डीजीपी कार्यवाहक नहीं हैं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यवाहक हैं क्योंकि नीति आयोग के आंकड़े आप देखोगे तो किसी क्षेत्र में काम ही नहीं हो रहा है। अच्छा होता कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपनी याददाश्त को थोड़ा और दुरूस्त करते हुए योगी सरकार को इस बात का भी अहसास करा देते कि उनकी सरकार में सिर्फ डीजीपी ही कार्यवाहक नहीं बन रहे हैं, बल्कि मुख्य सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी भी एक कार्यवाहक अधिकारी दुर्गा शंकर मिश्रा के कंधों पर है। सवाल यह है कि यूपी में क्या आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की कमी है या फिर सरकार को अपनी पसंद का अधिकारी नहीं मिल रहा है। इसलिए वह कार्यवाहक मुख्य सचिव और डीजपी से काम चलाने को मजबूर है।

खैर, इस बीच यूपी में कार्यवाहक डीजीपी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना का मामला पहुंच गया है। दाखिल याचिका में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा और प्रमुख सचिव को पार्टी बनाया है। प्रकाश सिंह केस का हवाला देते हुए और केन्द्रीय गृह मंत्रालय से भेजी जा रही चिट्ठियों का हवाला देते हुए “कार्यवाहक” डीजीपी की तैनाती को एससी के आदेश की अवमानना बताया है। सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों के बाद इस मामले में सुनवाई होगी।

बहरहाल, उत्तर प्रदेश पुलिस को एक बार फिर अपना नया कार्यवाहक डीजीपी मिल गया है। बीते करीब एक साल से यूपी पुलिस को कार्यवाहक डीजीपी से ही काम चलाना पड़ रहा है। वहीं इसको लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव से लेकर तमाम सियासी दलों ने राज्य सरकार पर हमला बोल दिया है। इस परम्परा पर कई पूर्व डीजीपी से लेकर बुद्धिजीवी तक ने चिंता व्यक्त की है। कहा यह भी जा रहा है कि यह सब केंद्र और राज्य सरकार की आपसी खींचतान का नतीजा है जो प्रदेश को तीसरी बार कार्यवाहक डीजीपी मिला है। यह राज्य और विभाग का दुर्भाग्य है। वहीं पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि यह कोई थानाध्यक्ष नहीं, पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति है, इसे गंभीरता पूर्वक लेना चाहिए। पूर्ण कालिक डीजीपी यूपी का रिक्वायरमेंट और अधिकार भी है।

बताते चलें यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह के रिटायर होने के बाद 1987 बैच के आईपीएस अफसर मुकुल गोयल को डीजीपी बनाया गया था, लेकिन यूपी सरकार ने उन्हें 11 मई 2022 को डीजीपी पद से हटा दिया था। 1987 बैच के आईपीएस मुकुल गोयल का रिटायरमेंट फरवरी 2024 में होना है। मुकुल गोयल को हटाकर यूपी सरकार ने डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया था। मार्च 2023 में डीएस चौहान सेवानिवृत्त हो गए। उसके बाद 1988 बैच के आईपीएस अफसर राजकुमार विश्वकर्मा को भी कुछ दिनों के लिए ही कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया। विश्वकर्मा भी इसी 31 मई को रिटायर हो गए। अब उनकी जगह 1988 बैच के विजय कुमार को कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया है। विजय कुमार मौजूदा समय में डीजी विजलेंस व सीबीसीआईडी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अब उन्हें वरिष्ठता के क्रम में कार्यवाहक डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। इस पर पूर्व डीजीपी एएल बनर्जी ने कहा कि एक बार हो सकता है लेकिन बार बार कार्यवाहक डीजीपी बने, ऐसा होना नहीं चाहिए। लेकिन उन्होंने कहा कि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि जो दो पिछले कार्यवाहक डीजीपी बने उनके कार्यकाल में कोई बहुत बड़ी घटना नहीं हुई, ना ही कोई दंगा-फसाद हुआ। कानून व्यवस्था दुरूस्त रही है। इसके साथ ही बनर्जी ने याद दिलाया कि सर्वोच्च अदालत ने प्रकाश सिंह केस में काफी स्पष्ट गाइडलाइन दिया था, जिससे अनुसार राज्य सरकार वरिष्ठता के आधार पर 5-6 अधिकारियों का एक पैनल यूपीएससी को भेजता है, उसमे से कुछ अधिकारियों को सेलेक्ट कर यूपीएससी राज्य सरकार को भेजता है उस पैनल से राज्य सरकार को उपयुक्त अधिकारी को सेलेक्ट कर डीजीपी बनाना होता है। जो दो साल के लिए डीजीपी बनता है।

उधर, पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि अधिकारियों की कमी नहीं है लेकिन जब पैनल ही नहीं भेजेंगे तो ऐसे ही कार्यवाहक डीजीपी बनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह कोई थानाध्यक्ष नहीं, यूपी पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति है इसे गंभीरता पूर्वक होना चाहिए। पूर्व डीजीपी ने कहा कि पूर्णकालिक डीजीपी ज्यादा कारगर और इफेक्टिव होगा कार्यवाहक डीजीपी से। पूर्ण कालिक डीजीपी यूपी का रिक्वायरमेंट और अधिकार भी है। कार्यवाहक डीजीपी विजय कुमार को ही स्थाई डीजीपी बना सकते हैं वो बहुत अच्छे अफसर है। गृह विभाग को सतर्क रहने की जरूरत है। इसके साथ ही विक्रम सिंह ने कहा कि मुकुल गोयल, रेणुका मिश्रा,आदित्य मिश्रा, विजय कुमार, आशीष गुप्ता ये ऐसे अधिकारी थे जिन्हें परमानेंट डीजीपी बना सकते थे।

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