गुजरात में जनाक्रोश रैली के दौरान कांग्रेस नेता हिरासत में
‘जनाक्रोश रैली’ के राज्य विधानसभा की ओर मार्च निकालने के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों सहित पार्टी के करीब 400 समर्थकों को हिरासत में ले लिया गया।
गांधीनगर। कांग्रेस पार्टी के आज यहां आयोजित ‘जनाक्रोश रैली’ के राज्य विधानसभा की ओर मार्च निकालने के दौरान इसके वरिष्ठ नेताओं और विधायकों सहित पार्टी के करीब 400 समर्थकों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने बताया कि उन्हें उस वक्त रोक लिया गया जब वे विधानसभा के मुख्य दरवाजे पर पहुंच गये थे। जिन लोगों को हिरासत में लिया गया उन लोगों में विपक्ष के नेता शंकर सिंह वाघेला, राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी, वरिष्ठ नेता शक्तिसिंह गोहिल, सिद्धार्थ पटेल, राज्यसभा के सांसद मधुसूदन मिस्त्री, मनीष दोशी, और करीब 20 विधायक शामिल हैं।
गांधीनगर के पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र यादव ने बताया, ‘‘राज्य विधानसभा में प्रवेश का प्रयास कर रहे करीब 400 लोगों को हमने हिरासत में लिया।’’ विधानसभा के जारी मानसून सत्र के दूसरे और अंतिम दिन कांग्रेस पार्टी के हजारों समर्थक आज भाजपा सरकार के ‘दमनकारी’ और दलितों पर ‘अत्याचार’ के खिलाफ एक रैली निकालने के लिए गांधीनगर में एकत्र हुये। जैसे ही प्रदर्शनकारी विधानसभा के मुख्य दरवाजे पर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें परिसर में प्रवेश करने से रोकने के लिए बैरीकेट लगा दिया। जब उन लोगों ने जबर्दस्ती की तो पुलिस ने पानी की बौछार की और उन्हें हिरासत में ले लिया। बाद में हिरासत में लिये गये सभी लोगों को रिहा कर दिया गया।
उधर, उना में दलितों के साथ मारपीट के मामले को लेकर सदन की कार्यवाही में खलल डालने और प्रदर्शन करने पर गुजरात विधानसभा से कांग्रेस के 50 विधायकों को बाहर निकाल दिया गया और फिर एक दिन के लिए कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया। उना में दलितों पर अत्याचार पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के सदस्य अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए अध्यक्ष के आसन तक पहुंच गए। तखितयों पर लिखा था कि भाजपा सरकार ‘‘दलित विरोधी’’ है। विधायकों ने सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों की ओर चूड़ियां भी फेंकी।कम से कम 20 सदस्यों ने बैनरों को अपने शरीरों पर लपेट रखा था। मानसून सत्र के अंतिम दिन और लगातार दूसरे दिन विधानसभा अध्यक्ष रमनलाल वोरा द्वारा बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद उन्होंने प्रदर्शन जारी रखा।
जब हंगामा जारी रहा तो अध्यक्ष ने मार्शलों को विधायकों को सदन से बाहर करने का निर्देश दिया, साथ ही विधायकों का नाम लेते हुए उन्हें एक दिन के लिए कार्यवाही से निलंबित कर दिया। इसके बाद कांग्रेसी विधायकों को सदन से बलपूर्वक बाहर कर दिया गया। अध्यक्ष ने कहा कि विपक्षी दल दलितों से जुड़े मुद्दों पर प्रदर्शन की रणनीति बनाकर आए थे और इस मुद्दे का वे राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं।
इससे पहले विधानसभा की कार्यवाही दलितों पर ज्यादतियों के मुद्दे पर तीखी नोंकझोंक से शुरू हुई। कांग्रेसी नेता राघवजी पटेल ने दलित अस्मिता रैली के बाद सामतेर गांव में दलितों पर हमले का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से जवाब मांगा कि हमले के दौरान दलितों को सुरक्षा मुहैया करवाने के लिए क्या कदम उठाए गए। इस पर गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने बताया कि उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस ने आंसूगैस के 51 गोले छोड़े और हवा में कई गोलियां भी चलाई थीं। इस दौरान एक पुलिस उप अधीक्षक और एक पुलिस इंस्पेक्टर समेत सात पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इसके बाद विपक्ष में कांग्रेस के नेता शंकरसिंह बाघेला ने उना मामले की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की मांग की। कांग्रेस के दलित नेता शैलेश परमार ने भी यही मांग की। इसको लेकर सदन में तेज नोंक झोंक हुई।
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