ईद-उल-फितर: तमाम परेशानियों के बीच लोगों के लिए खुशी लेकर आई ईद

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ईद-उल-फितर के मौके पर मोना अबुबकर के घर में ताजा सिके हुए बिस्कुट और कुकीज़ की महक हर तरफ फैल जाती थी... लेकिन , बढ़ती महंगाई की मार इस बार त्योहार पर साफ दिख रही है और इस कारण अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को देने के लिए मिस्र की इस गृहिणी ने कम मिठाइयां बनाई हैं।

काहिरा। ईद-उल-फितर के मौके पर मोना अबुबकर के घर में ताजा सिके हुए बिस्कुट और कुकीज़ की महक हर तरफ फैल जाती थी... लेकिन , बढ़ती महंगाई की मार इस बार त्योहार पर साफ दिख रही है और इस कारण अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को देने के लिए मिस्र की इस गृहिणी ने कम मिठाइयां बनाई हैं। तीन बच्चों की मां मोना अबुबकर ने इस बार अपने बेटों के लिए तीन दिन तक चलने वाले इस त्योहार के लिए नए कपड़े भी कम लिए हैं। ईद का त्योहार मिस्र और कई मुस्लिम बहुल देशों में सोमवार से शुरू हुआ, जो इस्लामिक पाक माह रमजान के समापन का प्रतीक है।

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यूक्रेन में युद्ध के कारण वैश्विक खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के कारण इस बार त्योहार का जश्न कुछ जगह फीका दिख रहा है। कई लोग इस साल कोरोना वायरस संबंधी पाबंदियों से छूट मिलने के बाद दिल खोलकर जश्न मनाना चाहते हैं, तो कुछ आर्थिक मंदी से पेरशान हैं। मोना अबुबकर ने कहा, ‘‘ मैंने उनसे (बच्चों से) कहा कि कुछ चीजों को लेकर समझौता करें, ताकि हम बाकी चीजें भी कर पाएं।’’ दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद में सोमवार सुबह हजारों मुसलमानों ने नमाज़ अदा की।

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इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में स्थित इस्तिकलाल ग्रैंड मस्जिद को 2020 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के कारण बंद कर दिया गया था और पिछले साल भी सामूहिक तौर पर नमाज अदा करने पर रोक थी। इपी तानजुंग ने अपनी पत्नी के साथ जकार्ता मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद कहा, ‘‘ खुशी बयां करने के लिए शब्द नहीं है, मैं यहां आज दो साल बाद आया हूं... वैश्विक महामारी के कारण यहां नहीं आ पाया था।’’

सीरिया के विद्रोहियों के कब्जे वाले उत्तर-पश्चिमी प्रांत इदलिब में, इस साल रमजान का महीना लोगों के लिए पहले की तुलना में काफी मुश्किलों भरा रहा। अबेद यासीन ने बताया कि उन्हें, उनकी पत्नी और तीन बच्चों को इस साल सहायता समूह से सामान पिछले साल की तुलना में आधी मात्रा में ही मिला, जिसमें छोले, दाल, चावल और खाना पकाने का तेल शामिल है। सीरिया की अर्थव्यवस्था युद्ध, पश्चिमी प्रतिबंधों, भ्रष्टाचार और पड़ोसी लेबनान में आर्थिक मंदी से प्रभावित हुई है। सीरियाई लोगों के अरबों डॉलर लेबनानी बैंकों में फंस गए हैं। उधर, गाजा पट्टी में, सड़कों और बाजारों में हलचल दिखी, हालांकि कई लोगों का कहना है कि वे ज्यादा खर्च नहीं कर सकते। गाजा पट्टी में पारम्परिक बाजार पहुंची पांच बच्चों की एक मां उम मुसाब ने कहा, ‘‘स्थिति काफी मुश्किलों भरी है। ’’

अल-मधौनी ईद की कुकीज़ बनाने के लिए खजूर का पेस्ट, आटा और तेल खरीदने पहंचे थे। महमूद अल-मधौनी ने कहा कि आर्थिक हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि, हम खुशी से त्योहार मनाने को प्रतिबद्ध हैं।’’ फलस्तीनी क्षेत्र में स्थिति यूक्रेन युद्ध से पहले ही खराब थी और अब हमास को अलग-थलग करने के लिए इज़राइल और मिस्र की कड़ी पाबंदियों से हालात और खराब हो गए हैं।

वहीं, अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता की बागडोर अपने हाथ लेने के बाद पहली बार ईद मनाई जा रही है। लोग कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार को नमाज के लिए काबुल की सबसे बड़ी मस्जिदों में पहुंचे। हालांकि, बार-बार होने वाले विस्फोटों से जश्न कुछ फीका जरूर पड़ा है। इनमें घातक बम विस्फोट शामिल थे, जिनमें से अधिकांश इस्लामिक स्टेट से संबद्ध लोगों ने किए। समुदाय के नेता डॉ. बकर सईद ने ईद से पहले कहा, ‘‘ हम दिखाना चाहते हैं, कि वे हमें झुका नहीं सकते। हम आगे बढ़ते रहेंगे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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