इमरजेंसी विशेष: जनता पार्टी की रैली रोकने के इंदिरा गांधी ने चली ये चाल, फिर भी बाबूजी बॉबी से जीत गए
1977 में देश में सिर्फ दूरदर्शन ही हुआ करता था और उसका नियंत्रण पूरी तरह से सरकार के हाथों में ही था। आम दिनों में यदि बॉबी फिल्म टीवी पर दिखाई जा रही होती तो दिल्ली की लगभग आधी आबादी टीवी स्क्रीनों के इर्द-गिर्द ही सिमटी रहती। अगले तरफ बॉबी थी और दूसरी तरफ से पक्षी दल के नेता।
दिल्ली का बहादुर साह जफर मार्ग, रोजाना कि तरह टक-टक करके चलने वाली टाइपराइटर की आवाज़ से अखबार का दफ्तर गुलजार था। अचानक रात को बिजली चली जाती है या फिर यूं कहे काट दी जाती है। ताकी अखबार निकल ही न पाए। अगले दिन सवेरा होते-होते मौसम और राजनीति दोनों का तापमान काफी चढ़ गया। अन्य सुबहों से काफी भिन्न थी ये सुबह। आठ बजे आकाशवाणी पर समाचारों की जगह समूचे देश ने रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज में संदेश सुना- 'भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।'
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इसके ठीक 18 महीने बाद मार्च 1977 विपक्षी दल के नेता छोड़ दिए गए और उन्होंने तय किया कि दिल्ली में एक बड़ी जनसभा की जाए। सरकार को लगा कि ज्यादा लोग ना पहुंच जाए तब उनके सूचना प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल ने ऐलान किया कि इस बार इतवार के रोज उस समय की चर्चित फिल्म बॉबी दिखाई जाएगी। 1977 में देश में सिर्फ दूरदर्शन ही हुआ करता था और उसका नियंत्रण पूरी तरह से सरकार के हाथों में ही था। आम दिनों में यदि बॉबी फिल्म टीवी पर दिखाई जा रही होती तो दिल्ली की लगभग आधी आबादी टीवी स्क्रीनों के इर्द-गिर्द ही सिमटी रहती। अगले तरफ बॉबी थी और दूसरी तरफ से पक्षी दल के नेता। लेकिन उस दिन ऐसा नहीं हुआ। जनता पार्टी के गठन के 10 दिन बाद बाबू जगजीवन राम ने भी केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया। बाबू जगजीवन राम ने दिल्ली में 6 मार्च को विशाल जनसभा को संबोधित करने का ऐलान किया। करीब 10 हजार लोगों ने दिल्ली में बाबूजी और जयप्रकाश नारायण को सुना।
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रामलीला मैदान बारिश के बावजूद खचाखच भरा था रात के 9:30 बज रहे थे अटल बिहारी वाजपेयी अपनी सीट से भाषण देने के लिए उठते हैं और रात के 11:00 बजे तक अनवरत बोलते रहे। पूरा रामलीला मैदान तालियों के शोर से अगले 15 मिनट तक गूंजता रहा।
"बाद मुद्दत के मिले हैं दीवाने, हने सुनने को बहुत हैं अफसाने।
खुली हवा में जरा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने"
जनता पार्टी की इस रैली के बाद उस दौर के एक उस दौर के एक अखबार ने अगले दिन हैडलाइन बनाई कि आज बाबूजी बॉबी से जीत गए!
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