संसद सत्र की शुरुआत के साथ ही दिल्ली में फिर से जुटे किसान, जानें अब क्या है मांग, क्यों कर रहे प्रदर्शन

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अभिनय आकाश । Mar 14, 2023 12:13PM
किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने संबंधित अधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन भी सौंपा।

13 मार्च को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत हो गई। इस दौरान पंजाब के पांच किसान संघों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ किसान नेताओं की संपत्तियों पर सीबीआई की तलाशी के मुद्दों और लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। किसान इससे पहले शहर के गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब से झंडे और तख्तियां लेकर जुलूस में शामिल हुए। भारती किसान यूनियन (बीकेयू) राजेवाल के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल के नेतृत्व में बीकेयू राजेवाल, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन, किसान संघर्ष कमेटी, पंजाब, भारती किसान यूनियन मनसा और आजाद किसान संघर्ष समिति यानी पांच यूनियनें मौजूद थीं। किसान संघों के एक समूह संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने भी 20 मार्च को देशव्यापी विरोध की योजना बनाई है।

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क्या ये यूनियनें पहले के विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा थीं?

ये पांच यूनियन 2020 की शुरुआत में दिल्ली की सीमाओं पर आयोजित कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व वाले कृषि आंदोलन की एक अभिन्न इकाई थीं। राजेवाल आंदोलन के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। हालाँकि, यूनियनें अब SKM का हिस्सा नहीं हैं। 19 नवंबर, 2021 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद, केंद्र सरकार द्वारा बाकी मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन दिए जाने के बाद, किसान संघ 11 दिसंबर को अपने-अपने राज्यों में लौट आए। बाद में एसकेएम का हिस्सा रहे 22 किसान संघों ने 2022 के राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए संयुक्त समाज मोर्चा (एसएसएम) का गठन किया। एसकेएम ने एसएसएम का हिस्सा बनने वाले सभी सदस्यों को निष्कासित कर दिया, क्योंकि चुनाव लड़ना उसके एजेंडे का हिस्सा नहीं था। चुनाव प्रचार के दौरान, एसएसएम के हिस्से के रूप में केवल 17 यूनियनें बची थीं। जब मार्च में चुनाव के नतीजे आए, तो एक (गैंगस्टर से कार्यकर्ता बने लाखा सिडाना) को छोड़कर सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

किसान संघ क्यों कर रहे हैं विरोध?

विरोध प्रदर्शन में बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, “केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ नारे लगाए गए, जो हमारे लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को हल करने में विफल रहे हैं। हम केंद्र के खिलाफ अपना गुस्सा और आक्रोश व्यक्त करने के लिए दिल्ली गए थे, जिसने तीन विवादास्पद केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के समय किसानों से किए गए लिखित वादों को पूरा नहीं करके हमें धोखा दिया है। इसके अलावा, उन्होंने 21 फरवरी को दो किसान नेताओं, बीकेयू लाखोवाल के अध्यक्ष अजमेर सिंह लाखोवाल और भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष सतनाम सिंह बेहरू के आवासों पर की गई सीबीआई की तलाशी के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की। यह आरोपों की जांच के लिए राज्यव्यापी खोजों का हिस्सा था। भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला, जिन्होंने कथित तौर पर रिश्वत के बदले व्यापारियों और चावल मिल मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए घटिया गुणवत्ता वाले अनाज की खरीद की।

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पीएम मोदी को सौंपा ज्ञापन

 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने संबंधित अधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन भी सौंपा। अपने ज्ञापन में, किसानों ने प्रधानमंत्री मोदी से कृषि गतिविधियों के लिए पानी का उचित वितरण सुनिश्चित करने और केंद्र द्वारा किये गए वादे के अनुसार फसलों के वास्ते न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)योजना को जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया। पंजाब के तरन तारन जिले से आए एक प्रदर्शनकारी किसान जरनैल सिंह ने कहा, ‘‘हमारी मांग वही है। किसानों और राज्य के लिये जल का बेहतर वितरण किये जाने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सारा पानी राजस्थान और दिल्ली को जा रहा है। पंजाबी किसान क्या करेंगे। सरकार ने गेहूं और दालों पर एमएसपी केलिये कुछ भी नहीं किया है। हमारे परिवार भुगत रहे हैं।

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