चारा घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ मिश्र की खिंचाई की

उच्चतम न्यायालय ने चारा घोटाले से जुड़े चार लंबित मामलों को खारिज किये जाने को चुनौती देने वाली सीबीआई की अपील को कथित रूप से लंबा खींचने और इसमें विलंब करने के लिये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को आज आड़े हाथ लिया। न्यायमूर्ति जेएस खेहड, न्यायमूर्ति एके मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मिश्रा द्वारा अपनाई गई तरकीबों की निंदा करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और यह अदालत से छल करने के समान है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम ऐसे आचरण की निंदा करते हैं। आप जानबूझकर कार्यवाही में देरी कर रहे हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह अदालत के साथ छल करने जैसा है।’’ सीबीआई ने झारखंड उच्च न्यायालय के 2014 फैसले को चुनौती दी है। इस फैसले में अदालत ने मिश्रा के खिलाफ दर्ज चारा घोटाले से संबंधित मामलों को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया था कि एक मामले में दोषी करार दिए गए व्यक्ति पर समान मामलों में समान गवाहों और सबूतों के आधार पर और मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। कांग्रेस के पूर्व नेता डॉ. जगन्नाथ मिश्रा इस समय जदयू के साथ हैं। उनके खिलाफ दर्ज चारा घोटाले से जुड़े पांच मामलों में से एक मामले में 2013 में उन्हें निचली अदालत ने दोषी करार दिया था।
सीबीआई का दावा है कि हालांकि ये मामले चारा घोटाले से ही निकले हैं लेकिन इनकी प्रकृति भिन्न-भिन्न है क्योंकि इसमें अलग-अलग कोषों की अलग-अलग राशियां शामिल थीं। इस मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद निश्चित करते हुये पीठ ने कहा कि यह एक ‘गंभीर मामला’ है और जिस तरह से इस मामले को पांच बार स्थगित किया गया, वह उससे खुश नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘हम बेहद नाखुश हैं। आप किसी मामले पर फैसला नहीं करने के लिए उच्चतम न्यायालय को दोषी ठहराते हैं। यह पहली बार है, जब आप स्थगन चाह रहे हैं। आप पहले ही पांच बार स्थगन ले चुके हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘यह एक गंभीर अपराध है। आप समय ले रहे हैं। हमें आपको और समय क्यों देना चाहिए? आप इस न्यायालय को नजरअंदाज कर रहे हैं।’’ शीर्ष अदालत ने मिश्रा को दो साल पहले जारी नोटिस का जवाब देने के लिये अंतिम अवसर देते हुए इसकी सुनवाई स्थगित कर दी।
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