विदेश मंत्री एस जयशंकर ने याद किया अपना UPSC इंटरव्यू, आपातकाल से क्या था कनेक्शन?

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@DrSJaishankar
अभिनय आकाश । Jul 21 2025 1:16PM

अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने यूपीएससी परीक्षा की तुलना अग्नि परीक्षा से करते हुए इंटरव्यू को असली चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि मेरा इंटरव्यू 21 मार्च, 1977 को था। उसी दिन आपातकाल हटा लिया गया था। हटा दिया गया था! इसलिए, मैं शाहजहाँ रोड पर इंटरव्यू के लिए गया... सुबह सबसे पहले। अपने इंटरव्यू को याद करते हुए, जयशंकर ने बताया कि उनसे 1977 के चुनावों के बारे में पूछा गया था क्योंकि वे राजनीति विज्ञान के छात्र थे। जवाब में जयशंकर ने कहा कि वे भूल गए थे कि वे इंटरव्यू में हैं और उनकी संवाद क्षमता किसी तरह काम कर गई।

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अपने यूपीएससी के सफ़र को याद करते हुए बताया कि सिविल सेवा परीक्षा के लिए उनका साक्षात्कार 21 मार्च, 1997 को दिल्ली में हुआ था, जिस दिन आपातकाल हटा लिया गया था। जयशंकर ने यूपीएससी में नए प्रवेशकों के एक समूह को संबोधित करते हुए यह बात कही। अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने यूपीएससी परीक्षा की तुलना अग्नि परीक्षा से करते हुए इंटरव्यू को असली चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि मेरा इंटरव्यू 21 मार्च, 1977 को था। उसी दिन आपातकाल हटा लिया गया था। हटा दिया गया था! इसलिए, मैं शाहजहाँ रोड पर इंटरव्यू के लिए गया... सुबह सबसे पहले। अपने इंटरव्यू को याद करते हुए, जयशंकर ने बताया कि उनसे 1977 के चुनावों के बारे में पूछा गया था क्योंकि वे राजनीति विज्ञान के छात्र थे। जवाब में जयशंकर ने कहा कि वे भूल गए थे कि वे इंटरव्यू में हैं और उनकी संवाद क्षमता किसी तरह काम कर गई।

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उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अपने छात्र जीवन के जुड़ाव का हवाला देते हुए कहा कि हमने 1977 के चुनाव अभियान में हिस्सा लिया था। हम सभी वहाँ गए थे और आपातकाल को हराने के लिए काम किया था। जयशंकर जो विदेश सचिव भी रह चुके हैं, ने कहा कि उन लोगों को, जो सरकार से काफ़ी जुड़े हुए थे और सहानुभूति रखते थे, बिना उन्हें नाराज़ किए यह समझाना मुश्किल था कि क्या हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि उस दिन उन्हें पता चला कि महत्वपूर्ण लोग शायद एक "बबल" में रह रहे हैं। ये लोग सचमुच सदमे में थे, उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये चुनाव नतीजे आए हैं, जबकि हम आम छात्र देख सकते थे कि आपातकाल के ख़िलाफ़ लहर थी। आप कैसे समझाएँगे, कैसे समझाएँगे? ये एक बात थी। दूसरी बात ये थी कि महत्वपूर्ण लोग शायद एक बुलबुले में जी रहे हैं और उन्हें अंदाज़ा नहीं है कि देश में क्या हो रहा है।

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गौरतलब है कि लगभग एक महीने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने आपातकाल के 50 साल पूरे किए थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल लगाया था और 21 मार्च, 1977 को इसे हटा लिया गया था। आपातकाल के बाद, जनता पार्टी ने 1977 के आम चुनावों में जीत हासिल की और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। इसीलिए, मोदी सरकार ने 21 जून को देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया था।

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