कांग्रेस में रहा है नेहरू-गांधी खानदान का दबदबा, आजादी के बाद परिवार के बाहर से रहे हैं 11 अध्यक्ष, जानें इनके बारे में

Gandhi family
ANI
अंकित सिंह । Sep 30 2022 5:42PM

आजादी के बाद कांग्रेस के इतिहास को देखें तो इसके अध्यक्ष पद पर गांधी-नेहरू परिवार का ही दबदबा रहा है। हालांकि, 11 ऐसे भी अध्यक्ष बने हैं जो गैर गांधी-नेहरू परिवार से आते हैं। गांधी परिवार ने इस बार भाजपा को लेकर बड़ा दांव खेला गया है। भाजपा लगातार गांधी परिवार पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए लगातार सियासी हलचल बनी हुई है। आज नामांकन की आखिरी तारीख थी। नामांकन भरने वालों में मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर और केएन त्रिपाठी का नाम है। सीताराम केसरी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद यह पहला मौका है जब अध्यक्ष पद की रेस में गांधी परिवार के किसी सदस्य का नाम नहीं है। कांग्रेस पार्टी का दावा है कि चुनाव पूरी तरीके से निष्पक्षता के साथ हो रहा है। इसका मतलब साफ है कि अगर सभी प्रत्याशियों के नामांकन सही पाए जाते हैं और वह अपना नामांकन वापस नहीं लेते हैं तो 17 अक्टूबर को मतदान होंगे और 19 को गिनती होगी। 19 अक्टूबर को तय हो जाएगा कि कांग्रेस का अध्यक्ष कौन बन रहा है। लेकिन लेकिन यह जरूर हो गया है कि कांग्रेस पार्टी का अगला अध्यक्ष गांधी नेहरू परिवार से बाहर का रहेगा। हालांकि, सभी नेता यह मानते हैं कि कांग्रेस पार्टी नेहरू-गांधी परिवार के बगैर कुछ भी नहीं है। ऐसे में इस बात की संभावना अब भी है बरकरार है कि चलेगी तो गांधी परिवार की है। 

इसे भी पढ़ें: राजस्थान में राजनीतिक खींचतान पर गजेंद्र शेखावत बोले, बदलाव का इंतजार कर रही जनता

आजादी के बाद कांग्रेस के इतिहास को देखें तो इसके अध्यक्ष पद पर गांधी-नेहरू परिवार का ही दबदबा रहा है। हालांकि, 11 ऐसे भी अध्यक्ष बने हैं जो गैर गांधी-नेहरू परिवार से आते हैं। गांधी परिवार ने इस बार भाजपा को लेकर बड़ा दांव खेला गया है। भाजपा लगातार गांधी परिवार पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रही है। ऐसे में अब कांग्रेस के पास कहने का यह मौका मिल सकता है कि हमारा भी अध्यक्ष अब स्वतंत्र रूप से चुनकर आया है। वह गांधी नेहरू परिवार का नहीं है। 1998 से लगातार गांधी परिवार ही कांग्रेस का नेतृत्व कर रहा है। चलिए आपको बताते हैं गैर गांधी-नेहरू परिवार से आने वाले कांग्रेस अध्यक्षों के बारे में। 

पट्टाभि सीतारमैया- 1948-1949- आज़ाद भारत के पहले कांग्रेस अध्यक्ष थे। स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही वह पेशे से डॉक्टर थे। जयपुर अधिवेशन में पार्टी के अध्यक्ष चुने गए थे। 

पुरुषोत्तम दास टंडन- 1950- इलाहाबाद में जन्मे पुरुषोत्तम दास टंडन एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें उत्तर प्रदेश के गांधी के रूप में जाना जाता था। 1961 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वह हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के बड़े पैरोकारों में से एक थे। 

इसे भी पढ़ें: शशि थरूर के मेनिफेस्टो में दिखा जम्मू कश्मीर का आधा हिस्सा! बाद में किया सही, कांग्रेस अध्यक्ष पद का लड़ रहे हैं चुनाव

यूएन ढेबर- 1955-1959 - यूएन ढेबर 1948 से 1954 तक सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे थे। वह स्वतंत्रता सेनानी भी थे। 1973 में, उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नीलम संजीव रेड्डी- 1960-63- भारत के पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे हैं। वे स्वतंत्रता सेनानी भी थे। आंध्र प्रदेश से आते थे। उन्हें आंध्र प्रदेश का पहला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। वह केंद्र में मंत्री रहे और लोकसभा के स्पीकर भी रहे। 

के कामराज-1964-1967- कांग्रेस के सबसे चर्चित अध्यक्षों में से एक के कामराज तमिलनाडु से आते थे। वह स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने मद्रास के मुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया था। अपने त्याग के लिए वे जाने जाते थे। उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 

एस निजलिंगप्पा- 1968-1969- यह भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और वरिष्ठ वकील भी थे। यह कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके थे। 1968 में इन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 

बाबू जगजीवन राम- 1970-71- भारत के वरिष्ठ नेताओं में से एक बाबू जगजीवन राम बिहार से आते थे। वह स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने छुआछूत के विरोध में बहुत काम किया था। इंदिरा गांधी का वह जमकर समर्थन करते थे। हालांकि 1977 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और जनता पार्टी के साथ आ गए। भारत के उप प्रधानमंत्री पर रहे।

शंकर दयाल शर्मा- 1972-74- भारत के पूर्व राष्ट्रपति कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे हैं। उन्हें देश के दिग्गज राजनेताओं में से एक माना जाता था। वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। केंद्र में मंत्री रहने के बाद वह देश के उपराष्ट्रपति रहे और बाद में उन्हें राष्ट्रपति बनने का मौका मिला। 

देवकांत बरुआ- 1975-77- असम के डिब्रूगढ़ में जन्मे देवकांत बरुआ को 'इंडिया इज इंदिरा, इंदिरा इज इंडिया' नारे के लिए जाना जाता है। आपातकाल के दौरान वहीं कांग्रेस के अध्यक्ष थे। 

इसे भी पढ़ें: गांधी परिवार कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में किसी का ‘प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष’ नहीं कर रहा समर्थन

पीवी नरसिम्हा राव- 1992-96- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव पेशे से वकील थे। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने संगठन की कमान भी अपने हाथ में रखी। वह देश के आईकॉनिक प्रधानमंत्री साबित हुए। लेकिन पार्टी में कहीं न कहीं उनकी पकड़ कमजोर देखी गई।

सीताराम केसरी- 1996-98- बिहार से आने वाले सीताराम केसरी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे थे। 1996 में कांग्रेस के भीतर अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में उन्होंने शरद पवार, राजेश पायलट के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में जीत हासिल की थी। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़