Uttar Pradesh : काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई टली, अब 4 अप्रैल अगली तारीख

allahabad high court

राज्य की ओर से स्थायी अधिवक्ता राजेश कुमार मिश्रा और वेद प्रकाश द्विवेदी उपस्थित थे। इससे पूर्व 24 मार्च को मंदिर की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने दलील दी थी कि पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र वैसा ही है, जैसा 15 अगस्त, 1947 को था। इसलिए पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधान यहां लागू नहीं किए जा सकते।

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को किसी भी वरिष्ठ सरकारी वकील की अनुपस्थिति पर असंतोष व्यक्त करते हुए वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर मामले की सुनवाई समय की कमी के चलते चार अप्रैल तक के लिए टाल दी। वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कहा, “यद्यपि केंद्र और राज्य पक्षकार हैं, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि उनकी ओर से कोई वरिष्ठ अधिवक्ता उपस्थित नहीं है।” 

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हालांकि, राज्य की ओर से स्थायी अधिवक्ता राजेश कुमार मिश्रा और वेद प्रकाश द्विवेदी उपस्थित थे। इससे पूर्व 24 मार्च को मंदिर की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने दलील दी थी कि पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र वैसा ही है, जैसा 15 अगस्त, 1947 को था। इसलिए पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधान यहां लागू नहीं किए जा सकते। पूजा स्थल अधिनियम की धारा 4 के तहत 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र के परिवर्तन के संबंध में किसी भी तरह के मुकदमे या किसी अन्य कानूनी कार्यवाही की अनुमति नहीं है। 

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उल्लेखनीय है कि वाराणसी की फास्ट ट्रैक अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या वहां मौजूद मस्जिद का निर्माण कराने के लिए मंदिर को तोड़ा गया था? इसके बाद, उच्च न्यायालय ने मौजूदा मामले में नौ सितंबर, 2021 को वाराणसी की अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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