मैं यहां राजनीति में बने रहने, लोगों से जुड़े रहने के लिए आया हूं : Yusuf Pathan

Yusuf Pathan
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पठान ने कहा, ‘‘मैं ऐसी जगह पर आकर धन्य हो गया हूं जहां लोग मुझे कह रहे हैं कि आपको हम यहां से जाने नहीं देंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां के लोग मुझे पहले ही अपना बेटा, भाई या मित्र मान चुके हैं। चुनाव का नतीजा चाहे कुछ भी हो, लेकिन मैं उनसे जुड़ा रहूंगा। मैं एक बेहतर भविष्य के लिए उनके साथ रहूंगा जिसके वे हकदार हैं।

कोलकाता। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ बहरमपुर लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने कहा कि वह यहां राजनीति में बने रहने और शहर के लोगों से जुड़े रहने के लिए आए हैं जो उन्हें ‘‘अपना मानकर पहले ही स्वीकार कर चुके हैं।’’ क्रिकेट के सभी प्रारूपों से फरवरी 2021 में संन्यास लेने वाले पठान को लगता है कि बहरमपुर में हर बीतते दिन के साथ उनकी ताकत और आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा है। 

पठान ने कहा, ‘‘मैं ऐसी जगह पर आकर धन्य हो गया हूं जहां लोग मुझे कह रहे हैं कि आपको हम यहां से जाने नहीं देंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां के लोग मुझे पहले ही अपना बेटा, भाई या मित्र मान चुके हैं। चुनाव का नतीजा चाहे कुछ भी हो, लेकिन मैं उनसे जुड़ा रहूंगा। मैं एक बेहतर भविष्य के लिए उनके साथ रहूंगा जिसके वे हकदार हैं। ये लोग मेरी ताकत हैं और ‘इंशा अल्लाह’, मैं जीतूंगा। मेरी इस समय जिस तरह की सकारात्मक सोच है, मैं हार के बारे में सोच भी नहीं रहा हूं।’’ वह पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में तृणमूल के टिकट पर बहरमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस के अनुभवी एवं निवर्तमान सांसद चौधरी को उनके गढ़ में चुनौती दे रहे हैं। 

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अधीर चौधरी का बहुत सम्मान करता हूं जो कि एक वरिष्ठ नेता हैं।’’ पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए गुजरात से यहां आए पठान ने कहा, ‘‘लेकिन जब मैं लोगों को सुनता हूं तो मैंने कोविड-19 के दौरान जमीनी स्तर पर उनकी अनुपस्थिति को लेकर असंतोष सुना है। यहां के लोगों ने आरोप लगाया है कि चौधरी बुनियादी ढांचा विकसित करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए आवश्यक केंद्रीय निधि लाने में नाकाम रहे हैं। लोगों के लिए पर्याप्त काम नहीं किया गया और 25 साल से सांसद रहे नेता को लोगों को जवाब देना चाहिए कि वह नाकाम क्यों रहे।’’ 

लोकसभा चुनाव लड़ने का विचार डेढ़ महीने पहले ही पठान के मन में आया जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक ने उनसे संपर्क किया। पठान ने कहा, ‘‘यह 10 मार्च को पार्टी द्वारा अपने उम्मीदवारों की सूची घोषित करने वाले दिन से एक सप्ताह पहले हुआ। मैंने शुरुआत में इनकार कर दिया था।’’ यह पूछने पर कि आखिरकार उन्होंने राजनीति और टीएमसी को क्यों चुना, इस पर उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘‘क्रिकेट तो खत्म हो गया, कुछ तो करना था।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘सच में कहूं तो, मैंने अपने भाई इरफान तथा पत्नी आफरीन समेत परिवार के सदस्यों से सलाह-मशविरा लिया। मैंने अपने दोस्तों से भी बात की। मुझे अहसास हुआ कि यह मेरे लिए जनता की सेवा करने के लिए ईश्वर से मिला एक अवसर हो सकता है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी धार्मिक पहचान, एक धर्मनिष्ठ मुस्लिम की पहचान, उन्हें बहरमपुर जैसी मुस्लिम-बहुल सीट पर विरोधियों पर बढ़त दिलाती है, इस पर पठान ने दृढ़ता से धर्म को राजनीति से अलग कर दिया। 

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उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस देश के प्रत्येक धर्म का सम्मान करता हूं लेकिन लोगों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर वोट बैंक की तरह नहीं समझा जाना चाहिए। प्राथमिकता अर्थव्यवस्था की वृद्धि और लोगों का विकास होना चाहिए ताकि हम अपनी अगली पीढ़ी के लिए एक भविष्य का निर्माण कर सकें।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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