नियुक्ति मामले में भाकपा ने केरल सरकार पर बोला हमला

[email protected] । Oct 10 2016 5:09PM

अपनी चुप्पी तोड़ते हुए केरल में माकपा नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार के एक प्रमुख सहयोगी दल भाकपा ने आज कहा कि ऐसे कृत्य राज्य के बेरोजगार युवाओं के प्रति ‘अन्याय’ और ‘अपराध’ हैं।

तिरूवनंतपुरम। मंत्रियों के रिश्तेदारों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रमुख पदों पर नियुक्त किए जाने के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए केरल में माकपा नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार के एक प्रमुख सहयोगी दल भाकपा ने आज कहा कि ऐसे कृत्य राज्य के बेरोजगार युवाओं के प्रति ‘अन्याय’ और ‘अपराध’ हैं। पार्टी के मुखपत्र ‘जनयुगम’ में लिखे तीखे संपादकीय में भाकपा ने कहा है कि विपक्षी प्रतिद्वंद्वियों की भ्रष्टाचार की कहानियां सामने रखकर ‘‘अपने कृत्यों’’ को उचित ठहराने की कोशिश जनता के सामने नहीं टिकेगी।

इसमें कहा गया कि ‘‘वाम मोर्चे के नेताओं और पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा कायम रखे जाने वाले उच्च मूल्य इसे बुर्जुआ लोकतंत्र की जटिलताओं से अलग बनाते हैं। इसे धूमिल करने का कोई कृत्य स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’ संपादकीय में कहा गया है, ‘‘भाई-भतीजावाद और इसके जरिए की जाने वाली नियुक्तियां उच्च शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवाओं के बड़े तबके के साथ किया गया ऐसा अपराध और अन्याय है, जिसे बयां नहीं किया जा सकता।’’

लेख में यह भी याद दिलाया गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एलडीएफ के कड़े रूख से मोर्चे को 16 मई के विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने में मदद मिली थी। हालांकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के पांच साल के भ्रष्ट शासन को खत्म करके सत्ता में आई एलडीएफ सरकार पर मौजूदा विवाद की छाया पड़ चुकी है लेकिन लेख का कहना है कि ‘‘चूकों का अहसास हो जाने पर और गलतियों को सुधार लिए जाने पर’’ विवाद खत्म हो जाएगा।

नियुक्तियों को लेकर चल रहे विवाद के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री पी विजयन ने रविवार को कहा था, ‘‘जो मुद्दे अब निकलकर आए हैं, सरकार ने उन्हें गंभीरता से देखा है। हम एकसाथ मिलकर फैसला करेंगे और उपयुक्त फैसला करेंगे।’’ राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में प्रमुख पदों पर पार्टी के नेताओं के रिश्तेदारों को नियुक्त करने के एलडीएफ सरकार के फैसले ने राज्य में विवाद को जन्म दे दिया है। यूडीएफ और भाजपा इन नियुक्तियों को खारिज करने और मामले की जांच करने की मांग कर रही है। वरिष्ठ मार्क्‍सवादी और राज्य प्रशासनिक सुधार समिति के अध्यक्ष वीएस अच्युतानंदन ने भी इस विवाद पर सरकार की आलोचना की है।

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