LAC पर तनाव घटाने के लिए भारत-चीन तैयार, सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पऱ हुई बात

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भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि इस तनातनी को निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत स्थानीय कमांडरों द्वारा सुलझा लिया गया। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं। क्षेत्र में दोनों पक्षों की लंबे समय तक डटे रहने की तैयारी है।

नयी दिल्ली। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने को लेकर नौवें दौर में करीब 16 घंटे तक विस्तृत वार्ता हुई। सूत्रों ने सोमवार को इस बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता रविवार सुबह करीब साढ़े दस बजे शुरू हुई और यह सोमवार तड़के करीब ढाई बजे खत्म हुई। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ मोल्दो में यह बैठक हुई। बातचीत के बारे में जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘‘सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के तौर-तरीकों पर विस्तार से चर्चा हुई।’’ सूत्रों के मुताबिक, भारत ने जोर दिया कि क्षेत्र में गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे ले जाने और तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन पर है। भारत लगातार कहता रहा है कि तनाव कम करने की प्रक्रिया टकराव वाले सभी स्थानों पर एक साथ शुरू होनी चाहिए और हमें चुनिंदा रूख स्वीकार्य नहीं है। वार्ता समाप्त होने के कुछ घंटे बाद यह बात सामने आई कि पूर्वी सिक्किम के ऊंचाई वाले स्थान नाकू-ला में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 20 जनवरी को संघर्ष हुआ था। भारतीय सेना ने सोमवार को इस घटना को ‘‘मामूली झड़प’’बताया। भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि इस तनातनी को निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत स्थानीय कमांडरों द्वारा सुलझा लिया गया। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं। क्षेत्र में दोनों पक्षों की लंबे समय तक डटे रहने की तैयारी है। इस बीच, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर भी सौहार्दपूण समाधान के लिए वार्ता चल रही है। पूर्वी लद्दाख में विभिन्न पवर्तीय क्षेत्रों में करीब 50,000 भारतीय जवान तैनात हैं। अधिकारियों के अनुसार चीन ने भी इतनी ही संख्या में अपने सैनिकों को तैनात किया है। रविवार को हुई बातचीत से करीब दो सप्ताह पहले भारत ने एक चीनी सैनिक को चीन को सौंप दिया था। इस चीनी सैनिक को पूर्वी लद्दाख में पेंगोंग सो के दक्षिण तट वाले इलाके में पकड़ा गया था। पता चला है कि भारत के इस कदम से सकारात्मक माहौल बना है। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया। सैन्य वार्ता में भारत पूर्वी लद्दाख के सभी इलाके में अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करने की मांग कर रहा है। दोनों सेनाओं के बीच यह टकराव पिछले वर्ष पांच मई को शुरु हुआ था। दोनों पक्षों के बीच आठवें दौर की वार्ता छह नवंबर को हुई थी जिस दौरान दोनों सेनाओं ने गतिरोध वाले कुछ खास बिंदुओं से सैनिकों की वापसी पर व्यापक चर्चा की थी। कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें चीन ने पेगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास सामरिक महत्व के अत्यधिक ऊंचे स्थानों से भारतीय सैनिकों को हटाने पर जोर दिया था। लेकिन भारत ने टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक ही समय पर शुरू करने की बात कही थी। 

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पिछले महीने, भारत और चीन ने भारत-चीन सीमा मामलों पर ‘परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र’ (डब्ल्यूएमसीसी) ढांचे के तहत एक और दौर की राजनयिक वार्ता की थी, लेकिन इस वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था। छठे दौर की सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चों पर और सैनिक नहीं भेजने, जमीनी स्थिति में बदलाव के एकतरफा प्रयास नहीं करने तथा विषयों को और अधिक जटिल बनाने वाली किसी भी गतिविधि से दूर रहने सहित कई फैसलों की घोषणा की थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के उनके समकक्ष वांग यी के बीच पिछले वर्ष 10 सितंबर को संघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर मॉस्को में हुई बैठक के दौरान पांच बिंदुओं पर बनी सहमति को लागू करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए इस दौर की वार्ता हुई है। समझौते में सैनिकों को तेजी से पीछे हटाना, तनाव बढ़ सकने वाली कार्रवाइयों से बचना, सीमा प्रबंधन के सभी समझौते एवं प्रोटोकॉल का पालन करना और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखना शामिल है।

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