Karnataka Elections 2023: कर्नाटक की इस सीट पर भाइयों के बीच दिलचस्प मुकाबला, पिता की विरासत पर छिड़ा महासंग्राम

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार कई दिलचस्प मुकाबले हो रहे हैं। राज्य की सोराब सीट से दिग्गज नेता बंगारप्पा के दो बेटे कुमार और मधु एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। चुनावों की डेट के नजदीक आने के साथ ही दोनों के बीच जीत की जद्दोजहद शुरू हो चुकी है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबले हो रहे हैं। आपको बता दें कि ऐसा ही एक मुकाबला सोराब सीट पर हो रहा है। यह मुकाबला अधिक दिलचस्प इसलिए और हो जाता है क्योंकि यहां पर दो भाई एक-दूसरे के आमने-सामने चुनावी मैदान में हैं। यहां दिग्गज नेता बंगारप्पा के दो बेटे चुनावी मैदान में एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देने जा रहे हैं। मधु बंगारप्पा कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में यहां से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। तो वहीं उनके सामने इस सीट से उनके भाई कुमार बंगारप्पा खड़े हैं। चुनावों की डेट के नजदीक आने के साथ ही दोनों के बीच जीत की जद्दोजहद शुरू हो चुकी है।

बंगारप्पा की विरासत पर छिड़ी जंग

बता दें कि केवल मधु ही सोराब सीट जीतने के लिए बंगारप्पा की विरासत और सद्भावना पर सवार नहीं है, बल्कि उनके भाई और मौजूदा विधायक कुमार बंगारप्पा भी चुनावी मैदान में है। मधु बंगारप्पा जहां कांग्रेस के टिकट पर सोराब से चुनाव लड़ रहे हैं, तो वहीं कुमार बंगारप्पा भाजपा के टिकट से मैदान में उतरे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से दोबारा चुनाव लड़ रहे कुमार बंगारप्पा अपने पिता की विरासत पर दावा करने का प्रयास करते दिख रहे हैं। वहीं मधु भी राज्य के हर गांव का दौरा कर अपने दिवंगत पिता का जिक्र करने से नहीं चूक रहे हैं। 

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मधु का कहना है कि वह जब भी राज्य भर में दौरे पर होते हैं तो उनका आह्वान करते हैं। मधु अपने पिता द्वारा चलाई गई योजनाओं का जनता के सामने जिक्र करते हैं। वह कहते हैं कि किस तरह से उनके पिता की 10 एचपी (हाई प्रेशर) तक सिंचाई पंपों के लिए मुफ्त बिजली की योजना आज भी चली आ रही है। बता दें कि साल 1990-92 से बंगारप्पा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा यह योजना शुरू की गई थी।

मधु बनाम कुमार की जंग

कई दशकों तक सोराब निर्वाचन क्षेत्र बंगारप्पा का गढ़ बना रहा। इस सीट पर बंगारप्पा ने लगातार सात बार साल 1967 से 1994 तक प्रतिनिधित्व किया था। कांग्रेस के टिकट पर अधिकतर जीत हासिल किया था। बंगारप्पा साल 1994 में लोकसभा के लिए चुने गए थे तो उन्होंने अपने बड़े बेटे कुमार के लिए निर्वाचन क्षेत्र छोड़ दिया था। वहीं साल 1999 में विधानसभा चुनावों में कुमार ने सीट पर अपनी जीत बरकरार रखी। इस दौरान वह एसएम कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में राज्य मंत्री पद मिला। 

साल 2004 के चुनावों से पहले मधु और कुमार के बीच दरार बढ़ गई। जब बंगरप्पा बीजेपी मे शामिल हुए और सोराब से मधु को चुनावी मैदान में उतारा। जब कुमार को अपने पिता के इस फैसले के बारे में पता चला कि उन्होंने मधु को सोराब सीट से चुनावी मैदान में उतारने का निर्णय लिया है, तो कुमार ने कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली। वहीं साल 2008 में बंगारप्पा समाजवादी पार्टी में शामिल हुए, कुमार जो कांग्रेस के उम्मीदवार थे। कभी बंगारप्पा के कट्टर समर्थक रहे पूर्व मंत्री हरतालु हलप्पा ने बीजेपी के टिकट से सोराब से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 

पारिवारिक झगड़े ने लिए कई बदसूरत मोड़

इसके बाद साल 2013 में जेडीएस के टिकट पर मधु ने सोराब से जीत हासिल की। हालांकि साल 2011 में बंगारप्पा की मौत के बाद भी मधु की अपने भाई कुमार के लिए सियासी दुश्मनी जारी रही। साल 2018 के चुनावों में मधु को कुमार ने हराया था। भाई-भाई की प्रतिद्वंद्विता ने मधु और कुमार के बीच अतीत में कई बदसूरत मोड़ लिए हैं। दोनों ने ही एक-दूसरे के प्रति गंभीर आरोप लगाए। हालांकि मधु ने कहा कि वह अपने पारिवारिक झगड़े पर बात करने के लिए सहज नहीं है। ऐसे में दो भाइयों के बीच यह मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है।

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