गलत जानकारी देना हंगर इंडेक्स का है हॉलमार्क? लिस्‍ट में पाक-श्रीलंका जैसे देशों से भी नीचे भारत, जानें कौन जारी करता है, क्या सच में नापी जाती है भूख

Hunger Index
prabhasakshi
अभिनय आकाश । Oct 15 2022 9:44PM

ग्लोबल हंगर इंडेक्स तैयार करने के लिए डब्ल्यूएचओ के तीन पैमाने हैं। खाने की कमी, बच्चों के पोषण स्तर में कमी और बाल मृत्यु दर। कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ़ ने चार पैमानों पर देशों को रैंक किया है।

वैश्विक स्तर पर खबर भारत के लिए बिल्कुल अच्छी नहीं है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 के जो आंकड़े सामने आए हैं वो बेहद ही निराशाजनक हैं। भारत छह पायदान नीचे खिसककर 121 देशों में से 107वें स्थान पर पहुंच गया है। वैश्विक सूची में भारत दक्षिण एशियाई देशों में से केवल और केवल युद्ध ग्रस्त देश अफगानिस्तान से बेहतर है। रिपोर्ट में आपको जानकर ये हैरानी होगी कि आर्थिक तंगी और भूखमरी झेल रहे पाकिस्तान और श्रीलंका भारत से काफी बेहतर रैकिंग में दिखाई दे रहे हैं। सिर्फ तालिबान शासित अफगानिस्तान देश ही एकलौता ऐसा दक्षिण एशियाई देश है जो भारत के नीचे हैं। इससे पहले भी साल 2021 में भारत की रैकिंग काफी पीछे दिखाई गई थी। उस वक्त सरकार ने इन आंकड़ों को ही खारिज कर दिया था। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 की सूची में प्रकाशकों ने भारत को काफी नीचे की श्रेणी में रखा है। 

भारत के पड़ोसी देशों की रैकिंग

 देश  रैंकिंग
 अफगानिस्तान 109
 भारत  107
 पाकिस्तान 99
 बांग्लादेश 84
 नेपाल  81
 श्रीलंका 64

 भुखमरी झेल रहे पाकिस्तान की भारत से  बेहतर स्थिति?

विनाशकारी बाढ़ के बाद भयंकर महंगाई और भुखमरी झेल रहे पाकिस्तान को भारत से बेहतर स्थिति में दिखाए जाना कई सवाल खड़े करता है। बाढ़ पाकिस्तान के एक तिहाई हिस्से को डुबा चुकी है। लाखों की संख्या में लोग बेघर हो चुके हैं और मौतों का आंकड़ा भी व्यापक है। आलम ये है कि दाने-दाने के मोहताज पाकिस्तान ने दुनिया से राशन की मदद मांगी थी।

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 श्रीलंका को भारत से बेहतर दिखाना बड़े सवाल खड़े करता

भारत का एक और पड़ोसी इमरजेंसी झेल चुके श्रीलंका की हालत तो देश-दुनिया में किसी से छिपी नहीं है। श्रीलंका में राष्ट्रपति के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर गए। राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया और प्रधानमंत्री आवास को आग के हवाले कर दिया। कुछ ही महीने पहले की बात है जब श्रीलंका में दूध और फल जैसी जरूरी चीजें बेहद महंगी थी। पेट्रोल के लिए लोग कई दिनों तक कतारों में नजर आए थे। उस वक्त भारत ने एक अच्छा पड़ोसी धर्म निभाते हुए श्रीलंका को राशन की मदद पहुंचाई। ऐसे में ग्लोबल हंगर इडेक्स में श्रीलंका को भारत से बेहतर दिखाना बड़े सवाल खड़े करता है। 

भारत ने किया खारिज

रिपोर्ट को लेकर भारत सरकार ने कहा है कि गलत जानकारी देना ग्लोबल हंगर इंडेक्स का हॉलमार्क लगता है। सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत की छवि खराब करने के लिए की गई कोशिश साफ देखी जा सकती है। भारत को ऐसे देश के रूप में दिखाया जा रहा है जो अपनी आबादी के लिए फूड सिक्योरिटी और पोषण की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है। यह इंडेक्स भुखमरी को गलत तरीके से मापता है। इसमें जो मेथड इस्तेमाल किया जाता है वह भी गंभीर रूप से गलत है।  

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पिछले 10 सालों में भारत की रैकिंग 

वर्ष रैंकिंग
 2013 63
 2014 55
 2015 80
 2016 97
 2017 100
 2018 103
 2019 102
 2020 94
 2021 101
 2022 107

कौन जारी करता है रैकिंग

विभिन्न एनजीओ अपने-अपने पैमाने के आधार पर इंडेक्स जारी करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का हंगर इंडेक्स अलग से तैयार होता है। वर्तमान का ग्लोबल हंगर इंडेक्स दो यूरोपीयन एनजीओ कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ़ ने मिलकर जारी किया है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए डेटा संयुक्त राष्ट्र के अलावा यूनिसेफ, फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइडेशन समेत कई एजेंसियों से लिया गया है।

साल 2021 में भी भारत को नीचे रखा गया

वर्ष 2021 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भी भारत को भुखमरी के मामले में विश्व के 116 देशों में 101वें नंबर पर रखा गया था। पिछले 2020 भारत इसमें 94वें नंबर पर था। इस इंडेक्स का ये दावा था कि भारत इस मामले में अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश भी भारत से अच्छी स्थिति में हैं। यानी भारत की रैकिंग गिरी है। भारत उन 31 देशों में भी शामिल था जहां पर भुखमरी की समस्या गंभीर मानी गई।

GHI रैंकिंग की गणना कैसे की जाती है?

जीएचआई रिपोर्ट, आयरिश सहायता एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन संगठन वेल्ट हंगरहिल्फ ने संयुक्त रूप से तैयार की है। रैंकिंग हमेशा किसी भी संकेतक के पूर्ण माप के बजाय एक सापेक्ष होती है। जीएचआई स्कोर की गणना चार संकेतकों पर की जाती है-

अल्पपोषण- जिन्हें पर्याप्त पोषक आहार नहीं मिला हो।

चाइल्ड वेस्टिंग - वैसे बच्चे जो अपनी लंबाई के हिसाब से काफी पतले हो. जिनका वजन कम गया हो या फिर बढ़ नहीं रहा।

चाइल्ड स्टंटिंग- वैसे बच्चे जो अपनी उम्र के हिसाब से शरीरिक रूप  से छोटे रहे गए हों या जिनकी लंबाई उम्र के हिसाब से विकसित नहीं हुई हो।

5 साल तक के बच्चों की मत्यु दर- 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मत्युदर।  

रिपोर्ट कितनी विश्वसनीय 

किसी भी रिपोर्ट की विश्वसनीयता को परखने के दो पैमाने होते हैः उसे बनाने वाले की पृष्ठभूमि और दूसरा, उसे तैयार करने की प्रक्रिया। इस लिहाज से सबसे पहली बात जो इस इंडेक्स के बारे में ध्यान रखनी चाहिए, वह ये कि इसे बनाने वाली ये दोनों ही संस्थाएं गैर-सरकारी हैं। पश्चिमी संस्थाओं में एशिया और विशेषतौर पर भारत के प्रति पूर्वग्रह जगजाहिर है। पूरी दुनिया में मानवाधिकार को बचाने के लिए कथित तौर पर काम करने वाली एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाएं अक्सर आतंकवादियों के पक्ष में लॉबिंग करने के लिए कुख्यात हैं। वहीं अगर बात रिपोर्ट की करे तो ये वैश्विक रैंकिंग कई कारणों से समस्याग्रस्त हैं।  वे विभिन्न जनसंख्या आकारों का कोई हिसाब नहीं रखते हैं, और दूसरा, न ही वे उन विभिन्न रास्तों पर विचार करते हैं जिनका राष्ट्रों ने अनुसरण किया है। 

 

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