Prabhasakshi NewsRoom: Dhaka में Hasina और नेपाली विदेश मंत्री से मिले Jaishankar, China पर साधा निशाना

S Jaishankar Sheikh Hasina
ANI

चीन द्वारा भारत के साथ सीमा समझौते के उल्लंघन के स्पष्ट संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं। जैसा कि हमने देखा है कि इससे भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है।''

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन पर परोक्ष हमला बोलते हुए कहा है कि जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं, तो भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित हिंद महासागर सम्मेलन के छठे संस्करण को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझा चिंता गैर-व्यवहार्य परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न ऋण है। उन्होंने कहा कि स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाने के लिए कानून व मानदंडों का पालन करना और नियमों का सम्मान करना एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक पहलु है।

चीन द्वारा भारत के साथ सीमा समझौते के उल्लंघन के स्पष्ट संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जब राष्ट्र कानूनी दायित्वों की अवहेलना या लंबे समय से चले आ रहे समझौतों का उल्लंघन करते हैं। जैसा कि हमने देखा है कि इससे भरोसे को भारी नुकसान पहुंचता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘... इसलिए यह आवश्यक है कि हम सभी अपने हितों के सामरिक दृष्टिकोण के बजाय अपने सहयोग के मद्देनजर दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं।’’ हम आपको बता दें कि भारत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और उसके आक्रामक व्यवहार की आलोचना करता रहा है, जो सीमा संबंधी समझौते का उल्लंघन है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘पिछले दो दशकों के कुछ सबक हैं, जिन्हें हम अपने जोखिम पर अनदेखा करते हैं। यदि हम ऐसे अपारदर्शी ऋण और महंगी परियोजनाओं को प्रोत्साहित करते हैं, तो हमें पहले या बाद में इसका नुकसान उठाना होगा।’’ सुचारू और प्रभावी संपर्क के महत्व पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने कहा कि देशों को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि भारत 60 अरब डॉलर के ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे’ का विरोध करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जिससे चीन को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अरब सागर तक पहुंच मिलती है।

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हम आपको यह भी बता दें कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहली बार अपने नेपाली समकक्ष नारायण प्रकाश सऊद से भी मुलाकात की और ऊर्जा, व्यापार, संपर्कता और पनबिजली में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की। दोनों मंत्रियों की मुलाकात बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हो रहे छठे हिंद महासागर सम्मेलन से इतर हुई। यह मुलाकात इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नेपाल में इस समय जो सरकार है वह चीन समर्थक मानी जाती है। इस मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, “नेपाल के विदेश मंत्री एन.पी. सऊद के साथ एक अच्छी पहली बैठक। उन्हें नई जिम्मेदारी के लिए बधाई दी। हमारी लगातार बढ़ती साझेदारी में आगे के कदमों पर चर्चा की। ऊर्जा, संपर्कता और हमारे स्थायी लोगों से लोगों के स्तर पर संबंधों के बारे में चर्चा की।”

वहीं, ढाका में नेपाली दूतावास ने कहा, “दोनों मंत्रियों ने नेपाल-भारत संबंधों की उत्कृष्ट स्थिति पर संतोष व्यक्त किया और व्यापार, पारगमन, संपर्कता और पनबिजली के क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।” हम आपको बता दें कि सऊद ने 16 अप्रैल को नेपाल के विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला था।

दूसरी ओर, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि हिंद महासागर के तटवर्ती राष्ट्रों के लचीले भविष्य के लिए उनके बीच सम्मान और आपसी विश्वास की आवश्यकता है। उक्त विषय पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि उनका देश क्षेत्र में शांति के लिए अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। बांग्लादेश की राजधानी में दो दिवसीय हिंद महासागर सम्मेलन (आईओसी) के छठवें संस्करण का उद्घाटन करते हुए हसीना ने कहा कि हिंद महासागर न केवल बांग्लादेश के लिए, बल्कि इस क्षेत्र के सभी देशों के लिए अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण महत्व रखता है। उन्होंने सम्मेलन के दौरान कहा, “हम इस क्षेत्र में शांति के लिए अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उम्मीद करते हैं कि अन्य सभी देश एक लचीला भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भी ऐसा ही करेंगे।” हम आपको बता दें कि हिंद महासागर सम्मेलन (आईओसी) के छठवें संस्करण का आयोजन बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली स्थित विचारक संस्था (थिंक टैंक) इंडिया फाउंडेशन के साथ मिलकर किया जा रहा है। हसीना ने कहा कि एक तटीय देश होने के नाते बांग्लादेश सदियों से समुद्री गतिविधियों का केंद्र रहा है और वह कई क्षेत्रीय मंचों पर सक्रिय है।

इसके अलावा जयशंकर ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने आपसी हितों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की तथा विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के स्तर पर संतोष व्यक्त किया। जयशंकर ने ट्वीट किया कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शुभकामनाएं उन्हें प्रषित कीं। हमारे नेताओं का मार्गदर्शन तथा दृष्टिकोण भारत-बांग्लदेश की मैत्री को मजबूत बना रहा है। प्रधानमंत्री हसीना के प्रेस सचिव एहसानुल करीम ने कहा कि विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और बातचीत के दौरान उन दोनों ने ‘‘विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के स्तर पर संतोष व्यक्त किया।’’ करीम ने कहा कि विदेश मंत्री ने कोविड से उबरने के बाद की दुनिया तथा यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के बारे में भी प्रधानमंत्री से चर्चा की।

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