NASA के साथ संयुक्त उपग्रह मिशन जासूसी उद्देश्यों के लिए नहीं : ISRO

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अंतरिक्ष विभाग के सचिव सोमनाथ ने कहा यह डेटा सार्वजनिक है। आप समझ सकते हैं, जब डेटा सार्वजनिक है तो यह जासूसी उपग्रह नहीं होगा। सबसे पहले, डेटा अमेरिका और भारत के बीच साझा किया जाएगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ संयुक्त उपग्रह मिशन का उद्देश्य जासूसी करना नहीं, बल्कि पृथ्वी का अध्ययन करना है।

सोमनाथ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बाद पृथ्वी का अध्ययन करने के लिए ‘सिंथेटिक एपर्चर रडार’ उपग्रह विकसित करने के लिए इसरो ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) के साथ मिलकर काम कर रहा है।

उन्होंने कहा, “ जीएसएलवी (रॉकेट) का अगला मिशन एनआईएसएआर मिशन है - नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार मिशन, जो एक बहुत बड़ा उपग्रह है। ‘पेलोड’ क्षमता के साथ-साथ आयतन के संदर्भ में रॉकेट का विन्यास और क्षमता लगातार बढ़ रहा है जो काफी उपयोग होने वाला है।”

सोमनाथ, जीएसएलवी-एफ14 इनसैट-3डीएस उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के बाद यहां संवाददाताओं से बात कर रहे थे। एक सवाल के जवाब में सोमनाथ ने स्पष्ट किया, एनआईएसएआर कोई जासूसी उपग्रह नहीं है

उन्होंने कहा, “ यह पूरी तरह से कुछ अनुप्रयोगों के लिए है...इसमें दो रडार हैं - एक एल बैंड रडार और दूसरा एस बैंड रडार है। एस बैंड रडार को भारत ने निर्मित किया है जबकि एल बैंड रडार को अमेरिका ने बनाया है।

अंतरिक्ष विभाग के सचिव सोमनाथ ने कहा यह डेटा सार्वजनिक है। आप समझ सकते हैं, जब डेटा सार्वजनिक है तो यह जासूसी उपग्रह नहीं होगा। सबसे पहले, डेटा अमेरिका और भारत के बीच साझा किया जाएगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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