World Military Expenditure: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सैन्य खर्च में रिकॉर्ड उछाल, जानें कितना खर्च करता है भारत
पोर्ट में कहा गया है कि चीन सैन्य खर्च के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर है और उसने 2021 में अपनी सेना को अनुमानित 293 अरब अमेरिकी डालर आवंटित किए, जो 2020 से 4.7 प्रतिशत और 2012 से 72 प्रतिशत अधिक है।
किसी भी देश की सुरक्षा उतनी ही अहम है जितना जरूरी देश की जनता को बाकी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना है। दुनिया का हर देश अपनी सुरक्षा अंधरुनी और बाहरी दोनों ही मोर्चों पर करता है। सीमाओं की सुरक्षा के लिए थल सेना, नौसेना और वायुसेना तैनात रहती है। वहीं आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस के हाथ में होती है। तमाम देशों को इस सुरक्षा के लिए अरबों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसके लिए हर देश अपना सालाना रक्षा बजट निर्धारित करता है। स्टॉक होम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी सीपरी पूरी दुनिया के सैन्य बजट से लेकर रक्षा के बदलते तौर तरीकों पर नजर रखता है। जिसके मुताबिक पूरी दुनिया में सैन्य खर्च 2.1 अरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। वहीं भारत सैन्य खर्च के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है।
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अमेरिका का ध्यान सैन्य रिसर्च पर
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सैन्य खर्च के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर है और उसने 2021 में अपनी सेना को अनुमानित 293 अरब अमेरिकी डालर आवंटित किए, जो 2020 से 4.7 प्रतिशत और 2012 से 72 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2021 में अमेरिकी सैन्य खर्च की राशि 801 अरब डॉलर थी। 2020 की तुलना में इसमें 1.4 प्रतिशत की गिरावट है। अमेरिकी सैन्य बोझ 2020 में जीडीपी के 3.7 प्रतिशत से थोड़ा कम होकर 2021 में 3.5 प्रतिशत हो गया। 2021 में सैन्य खर्च करने वाले पांच सबसे बड़े देशों में अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस थे जो कुल मिलाकर दुनिया के सैन्य खर्च का 62 प्रतिशत हिस्सा था। अकेले अमेरिका और चीन का हिस्सा 52 प्रतिशत था।
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सैन्य खर्च के मामले में तीसरे स्थान पर भारत
रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत का सैन्य खर्च बढ़कर 76.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2020 के आंकड़ों से 0.9 प्रतिशत अधिक है। भारत ने अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वदेशी हथियार उद्योग को मजबूत बनाने के लिए, 2021 के भारतीय सैन्य बजट में पूंजी परिव्यय का 64 प्रतिशत घरेलू उत्पादित हथियारों की खरीद के लिए निर्धारित किया गया था।
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