नसबंदी को लेकर भाजपा के निशाने पर आई कमलनाथ सरकार ने फरमान लिया वापस

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दिनेश शुक्ल । Feb 22 2020 7:16PM

दरआसल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज द्वारा पुरुष नसबंदी में लक्ष्य से पीछे रहने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकने के आदेश के बाद सियासत शुरू हो गई है। जिसके बाद कमलनाथ सरकार बैकफुट पर आ गई थी। जिसके चलते कमलनाथ सरकार ने आदेश रद्द करना पड़ा।

भोपाल। मध्यप्रदेश में पुरूष नसबंदी को लेकर उठे बवाल के बाद जहाँ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज के आदेश को कमलनाथ सरकार ने वापस ले लिया है। वही विपक्ष के तेज होते हमले के बीच बैकफुट पर आई कमलनाथ सरकार अब इस पर लीपापोती की तैयारी में लग गई है। दरआसल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज द्वारा पुरुष नसबंदी में लक्ष्य से पीछे रहने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकने के आदेश के बाद सियासत शुरू हो गई है। जिसके बाद कमलनाथ सरकार बैकफुट पर आ गई थी।  जिसके चलते कमलनाथ सरकार ने आदेश रद्द करना पड़ा। सूत्रों की माने तो इस मामले के तोल पकड़ते ही सभी सीएमएचओ को फोन के जरिए मौखिक सूचना दे दी गई है और बताया गया है कि किसी का वेतन नहीं रोका जाएगा। हालांकि इसकी नियमित समीक्षा होगी‌।

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पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो इसे प्रदेश में आघोषित आपातकाल बताते हुए ट्वीट किया। शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में लिखा कि क्या ये कांग्रेस का अघोषित अपातकाल-2 है? अगर कर्मचारी अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे तो उन पर कार्यवाई करे, लेकिन लक्ष्य पूरा न होने पर वेतन रोकना और सेवानिवृत्त करने का निर्णय, तानाशाही है। साथी उन्होने हैसटैग एमपी मांगे जवाब भी लिखा।

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तो दूसरी ओर बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने सीधे मुख्यमंत्री कलमनाथ पर निशाना साधते हुए कहा मध्यप्रदेश में नसबंदी के मामले में ऐसा लग रहा है कि फिर से आपातकाल लगा दिया गया हो और फिर से संजय गांधी की चौकड़ी ही अपने नियम बनाकर लागू कर रही है। क्या कमलनाथ सरकार जबरन पुरूषों की नसबंदी करवाएगी। तो पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और विधायक नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि यह निर्णय आपातकाल की प्रीमेच्योर डिलीवरी जैसा है। उस समय अविवाहितों की भी नसबंदी कर दी गई थी। शायद उस समय भी कमलनाथ ही सरकार के सलाहकार रहे होंगे।

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मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के निशाने पर आने के बाद आनन फानन में कमलनाथ सरकार ने निर्णय वापस लेने के आदेश जारी कर दिए। पहले जारी आदेश प्रदेश में लक्ष्य के अनुसार काम नहीं करने वाले कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगे जाने तथा सुधार नहीं होने पर बाद में उन पर वेतन रोकने की कार्रवाई करने की बात लिखी थी। प्रदेश में इस साल 500000 नसबंदी का लक्ष्य रखा गया है जिसमें अभी तक 337000 नसबंदी हुई है। इसने पुरुष नसबंदी सिर्फ 2900 है।

 

 

 

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