डिजिटल फॉर्मेट में होगी आने वाली मेरठ महायोजना 2031,मेरठ विकास प्राधिकरण भी होगा अब स्मार्ट

मेरठ महायोजना-2031

मेरठ महायोजना आनलाइन होगी। इस बार सरधना मवाना व हस्तिनापुर को भी इसमे शामिल किया गया है। इसके बीच में पड़ने वाले 305 गांव भी इसमें शामिल होंगे। इस तरह से इन क्षेत्रों में होने वाले कार्य महायोजना के अनुसार ही होंगे।

मेरठ महायोजना-2031 में दस वर्षों में होने वाले विकास कार्यों का खाका तैयार हो चुका है और इस मेरठ महायोजना-2031 की जनता के समक्ष आने व लागू होने की उलटी गिनती शुरू हो गई है। इस बार की महायोजना का शहर के निवासियों को काफी इंतजार है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल होने के बाद मेरठ में इस वर्ष तेजी से कार्य किया जा रहा है। क्योकि रैपिड रेल, एक्सप्रेसवे, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर आदि प्रमुख प्रोजेक्ट प्रगति पर है। इस बार इस महायोजना-2031 की खास बात यह है कि इस बार की महायोजना डिजिटल भी रहेगी। इससे पहले की सभी महायोजना प्रिंट फारमेट में हुआ करती थी। साथ ही उसका मानचित्र लोगों की समझ में नहीं आता था, जबकि इस बार का मानचित्र जूम करके भी देखा जा सकेगा।

मेरठ विकास प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनवरी 2022 से महायोजना-2031 लागू हो जाएगी। नए प्लान में मवाना, हस्तिनापुर, सरधना, बहसूमा और लावड़ को मेरठ विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बीच में पडऩे वाले 305 गांव भी इसमें शामिल होंगे। इस तरह से इन क्षेत्रों में होने वाले कार्य महायोजना के अनुसार ही होंगे।ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के इन कस्बों में अगले दस साल में आवासीय और व्यावसायिक गतिविधियां तेज होंगी। इससे तरक्की को रफ्तार मिलेगी, रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। 

मेरठ शहर के चारों तरफ हाईवे, एक्सप्रेसवे और दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल के नेटवर्क से जिले में तरक्की की रफ्तार तेज होने जा रही है। एनसीआर में मेरठ सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला शहर बनने जा रहा है। इसी को देखते हुए एमडीए ने 2021 के मास्टर प्लान के मुकाबले 2031 में 1043 वर्ग किलोमीटर में विस्तार का लक्ष्य रखा है। गुरुग्राम की ऑलमांड ग्लोबल कंपनी ने महायोजना को तैयार किया है। कंपनी और एमडीए उपाध्यक्ष के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी। इसमें कुछ संशोधन किए गए हैं। इसके बाद ड्राफ्ट को फाइनल कर दिया गया है। पूरी महायोजना आनलाइन भी रहेगी, जिससे किस खसरा का भूमि उपयोग क्या है उसे कोई भी देख सकेगा। यह व्यवस्था लौंगीट्यूड व लैटीट्यूड पर आधारित रहेगी। अब से पहले यह व्यवस्था नहीं थी। सिर्फ एमडीए को ही भूमि उपयोग का पता रहता था। भूउपयोग जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि एमडीए में मानचित्र भूउपयोग के अनुसार ही स्वीकृत होते हैं। वहीं अब कोई भी जान सकेगा कि सड़क, उद्योग, शिक्षा हब कहां प्लान किया गया है। जियोग्राफिक इंफारमेशन सिस्टम (जीआइएस) केंद्रीयकृत मास्टर प्लान-2031 तैयार किया गया है। इससे शहर का सुनियोजित विकास सुनिश्चित हो सकेगा। कोई भी महायोजना के अनुसार अपनी आगे की योजना बना सकेगा। 

महायोजना लागू होने के बाद सरधना, मवाना, हस्तिनापुर, सरधना, बहसूमा और लावड़ में आवासीय कॉलोनियां डेवलप होंगी। मेरठ के चारों तरफ 334 करोड़ से रिंग रोड बनाने की तैयारी है। रिंग रोड बनते ही यह सारे कस्बे आपस में बेहतर ढंग से लिंक हो जाएंगे।

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