मेघालय की झांकी में महिला सहकारी समितियों, स्वयं-सहायता समूहों के योगदान का सम्मान

Meghalaya tableau

गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां राजपथ पर आयोजित परेड में मेघालय की झांकी में बांस और बेंत के हस्तशिल्प के साथ-साथ लकडोंग हल्दी जैसे उत्पादों को लोकप्रिय बनाने में महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों और स्वयं-सहायता समूहों के योगदान को दिखाया गया।

नयी दिल्ली। गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां राजपथ पर आयोजित परेड में मेघालय की झांकी में बांस और बेंत के हस्तशिल्प के साथ-साथ लकडोंग हल्दी जैसे उत्पादों को लोकप्रिय बनाने में महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों और स्वयं-सहायता समूहों के योगदान को दिखाया गया। झांकी के अगले हिस्से में बांस की टोकरी बुनती एक महिला और मेघालय के बांस और बेंत के कई उत्पादों को दर्शाया गया, जबकि झांकी के पिछले हिस्से में लकडोंग हल्दी की पारंपरिक खेती और प्रसंस्करण को दिखाया गया।

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मेघालय की बेंत और बांस से जुड़ी कला प्रसिद्ध है। हालांकि, एक समय था जब मेघालय के बेंत और बांस के उत्पादों की मांग घट गई थी और बड़े पैमाने पर प्लास्टिक के सस्ते विकल्पों की उपलब्धता के कारण इस शिल्प का लगभग अंत हो गया था। मेघालय के कई गांवों में महिलाओं ने इस शिल्पकला को पुनर्जीवन प्रदान करने के मकसद से बेंत और बांस उत्पादों को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिहाज से सहकारी समितियों और स्वयं-सहायता समूहों का गठन किया।

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मेघालय के जैंतिया हिल्स क्षेत्र की उद्यमी महिलाओं द्वारा गठित सहकारी समितियों और स्वयं-सहायता समूहों के प्रयासों के कारण लकडोंग हल्दी ने भी वैश्विक प्रसिद्धि प्राप्त की। इस हल्दी में 7-12 प्रतिशत तक ‘करक्यूमिन सामग्री’ होती है। राज्य की झांकी में महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों और स्वयं-सहायता समूहों द्वारा उत्पादों के आरंभ से लेकर आपूर्ति तक संचालित संपूर्ण श्रृंखला को दर्शाया गया। मेघालय के लिए इस वर्ष का गणतंत्र दिवस न केवल देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष बल्कि राज्य की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने का भी अवसर था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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