बंद से बेरोजगार होने के बाद पैदल चलकर सूरत से बांदा पहुंची गर्भवती महिला

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बांदा जिले के कमासिन थाना क्षेत्र के भदावल गांव की रहने वाली महिला ने अपनी दास्तान सुनाई कि कोरोना वायरस की वजह से 24 मार्च (मंगलवार) की शाम अचानक बुधवार से लॉकडाउन की घोषणा के बाद फैक्ट्री मालिक ने सभी मजदूरों को फैक्ट्री से बिना पगार दिए ही निकाल दिया था।

बांदा। गुजरात के सूरत में मजदूरी कर रही सात माह की गर्भवती महिला सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अपने दो साल के बच्चे के साथ बांदा जिले के अपने गांव पहुंची है। बांदा से सूरत की सड़क मार्ग की दूरी 1,066 किलोमीटर है। यह महिला अपने पति के साथ गुजरात के सूरत की एक निजी फैक्ट्री में मजदूरी करती थी, इसके दो साल का एक बच्चा भी है। बांदा जिले के कमासिन थाना क्षेत्र के भदावल गांव की रहने वाली महिला ने अपनी दास्तान सुनाई कि कोरोना वायरस की वजह से 24 मार्च (मंगलवार) की शाम अचानक बुधवार से लॉकडाउन की घोषणा के बाद फैक्ट्री मालिक ने सभी मजदूरों को फैक्ट्री से बिना पगार दिए ही निकाल दिया था। कोई विकल्प न होने पर रेल पटरी के सहारे दो साल के बच्चे को गोद में लेकर हम पैदल ही चल दिये थे।

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रास्ते में भगवान के अलावा किसी ने मदद कोई नहीं की। उसने बताया कि गांव तो बहुत मिले, जहां पीने के लिए पानी और खाने के लिए थोड़ा गुड़ गांव वाले दे देते रहे हैं। उसने बताया कि गुरुवार तड़के सूरत से चले थे और (मंगलवार) सुबह बांदा पहुंच पाए हैं। इतने दिन के सफर में कई बार एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन नहीं मिली। बांदा जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएस) डॉ. संपूर्णानंद मिश्रा ने बताया कि यह दंपत्ति मंगलवार बांदा आ पाया है, ट्रॉमा सेंटर में प्राथमिक जांच के बाद इन्हें एंबुलेंस से उनके गांव भदावल भेज दिया गया है। जहां ये अपने घर में 14 दिन तक एकांत में रहेंगे।

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डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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