Mohan Bhagwat बोले, हिंदू समाज की एकता से भारत बनेगा विश्व गुरु

Mohan Bhagwat
ANI
एकता । Nov 9 2025 1:25PM

'न्यू होराइजन्स' सीरीज में मोहन भागवत ने 'संगठित हिंदू समाज' को भारत के विश्व गुरु बनने का मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि आरएसएस का लक्ष्य हिंदू समाज को मजबूत कर ऐसा भारत बनाना है जो वैश्विक शांति हेतु धर्म का ज्ञान दे, जबकि शाखा में सभी 'भारत माता के बेटे' शामिल हो सकते हैं, भले ही सदस्यता केवल हिंदुओं के लिए हो।

आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ की 100 साल की यात्रा पर आयोजित दो-दिवसीय लेक्चर सीरीज 'न्यू होराइजन्स' में संगठन के एकल मिशन को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि RSS का एकमात्र लक्ष्य पूरे हिंदू समाज को संगठित और मजबूत करना है, ताकि वह खुशहाल और मजबूत भारत का निर्माण कर सके, जो दुनिया को धर्म का ज्ञान देकर शांतिपूर्ण बनाए।

संघ का 'एक ही विजन'

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने जोर देकर कहा कि संघ का 'एक ही विजन' है। उन्होंने कहा, 'हम पूरे हिंदू समाज को एक करना, ऑर्गनाइज करना, उनमें खूबियां डालना चाहते हैं ताकि वे एक खुशहाल और मजबूत भारत बना सकें जो दुनिया को धर्म का ज्ञान दे ताकि दुनिया खुश, आनंदित और शांतिपूर्ण हो। हमारा एक ही विजन है, सिंगल विजन। उस विजन को पूरा करने के बाद, हम कुछ और नहीं करना चाहते।' उन्होंने कहा कि एक बार हिंदू समाज संगठित हो जाने के बाद, बाकी का काम संगठित समाज खुद करेगा।

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RSS में कौन शामिल हो सकता है?

यह पूछे जाने पर कि क्या मुसलमानों को आरएसएस में शामिल होने की अनुमति दी जाती है, भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ में किसी भी जाति या पंथ के आधार पर पहचान नहीं होती है।

उन्होंने कहा कि संघ में किसी ब्राह्मण, दूसरी जाति, मुसलमान या ईसाई को आने की अनुमति नहीं है। संघ में सिर्फ हिंदूओं को आने की अनुमति दी जाती है। भागवत ने आगे स्पष्ट किया कि मुसलमान, ईसाई और अन्य पंथों के लोग 'भारत माता के बेटे' के तौर पर और 'इस हिंदू समाज के सदस्य' के तौर पर शाखा में आ सकते हैं।

उन्होंने कहा, 'मुसलमान शाखा में आते हैं, ईसाई शाखा में आते हैं... लेकिन हम उनकी गिनती नहीं करते, और हम यह नहीं पूछते कि वे कौन हैं। हम सब भारत माता के बेटे हैं। संघ ऐसे ही काम करता है।' भागवत ने कहा कि सभी की अलग पहचान (खासियत) का स्वागत है, लेकिन शाखा में आने पर सभी एक साथ आते हैं।

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