नेहरू का वो माफीनामा, जब मिली 2 साल की सज़ा पर 2 हफ्ते में ही छूट गए, पिता ने लगाई वायसराय तक सिफारिश
1923 में नाभा रियासत में गैर कानूनी ढंग से प्रवेश करने को लेकर सुनाई गई 2 साल की सज़ा के दौरान सिर्फ 2 हफ्ते बाद ही ये स्थिति हो गई कि जवाहरलाल नेहरू ने अब कभी नाभा में प्रवेश ना करने का बॉन्ड भर कर अपनी सज़ा माफ कराई, साथ ही उनके पिता उन्हें छुड़ाने के लिए वायसराय तक सिफारिश लेकर पहुँच गए थे।
देशभर में वीर सावरकर को लेकर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान को लेकर विपक्ष हमलावर है। लेकिन सावरकर की माफी को लेकर सियासत तेज़ ही थी कि इसमें जवाहर लाल नेहरू के नाभा जेल का मामला सुर्खियीं में आ गया। दरअसल, साल 1923 में नाभा रियासत में गैर कानूनी ढंग से प्रवेश करने पर औपनिवेशिक शासन ने जवाहरलाल नेहरू को 2 साल की सजा सुनाई गई थी। इसको लेकर बीजेपी मीडिया सेल के हेड अमित मालवीय ने बड़ा दावा किया है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि जवाहरलाल नेहरू, जिसे कांग्रेस पूजती है को उनके पिता ने (सितंबर 1923 में) बचा लिया था। सिर्फ इसलिए कि वह नाभा जेल में 2 सप्ताह तक भी कठिनाइयों को सहन नहीं कर सके?कुछ तथ्य काम आ सकते हैं क्योंकि हम याचिकाओं पर चर्चा कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने इससे संबंधित कुछ तथ्य भी पेश किए। जिसके अनुसार 1923 में नाभा रियासत में गैर कानूनी ढंग से प्रवेश करने को लेकर सुनाई गई 2 साल की सज़ा के दौरान सिर्फ 2 हफ्ते बाद ही ये स्थिति हो गई कि जवाहरलाल नेहरू ने अब कभी नाभा में प्रवेश ना करने का बॉन्ड भर कर अपनी सज़ा माफ कराई, साथ ही उनके पिता उन्हें छुड़ाने के लिए वायसराय तक सिफारिश लेकर पहुँच गए थे।So Jawaharlal Nehru, the man Congress venerates, was rescued (in Sept 1923) by his father, just because he couldn’t endure hardships in Nabha jail for even 2 weeks?
— Amit Malviya (@amitmalviya) May 28, 2020
And these minions of Nehru speak disparagingly of Veer Savarkar, who went through unimaginable suffering? (Thread) https://t.co/WExcDePCGS
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क्या कहा था राजनाथ सिंह ने
विनायक दामोदर सावरकर पर एक किताब का विमोचन का मौका था जब राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर के खिलाफ झूठ फैलाया गया। बार-बार यह बात कही गई कि उन्होंने अंग्रेजी सरकार के सामने अनेकों मर्सी पिटिशन फाइल की। मगर सच्चाई है कि मर्सी पिटिशनउन्होंने अपने को रिहा किए जाने को लेकर नहीं फाइल की थी। सामान्यता एक कैदी को पूरा अधिकार होता है कि अगर वह मर्सी पिटिशन फाइल करना चाहे तो वह कर सकता है। महात्मा गांधी ने उन्हें कहा था कि आप मर्सी पिटिशन फाइल कीजिए।
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