नोएडा का नटवरलाल, बाइक बोट के नाम पर 2 लाख लोगों को बनाया कंगाल

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अभिनय आकाश । Jun 10 2019 3:23PM

बाइक बोट के मालिक की गिरफ्तारी के बाद निवेशकों को उम्मीद है कि उनके पैसे वापस मिल जाएंगे लेकिन उनकी उम्मीदों को करारा झटका लग सकता है। संजय भाटी के पास निवेशकों को लौटाने के लिए पैसा है ही नहीं।

ठगी का पर्यायवाची नाम है 'मिस्टर नटवरलाल'। चालाकी और ठगी के माध्यम से लोगों को अपना शिकार बनाने वाले इस ठग के ऊपर कई किताबें भी लिखी गई व फिल्म भी बनाए जा चुके हैं। लेकिन एक ठग जो अपनी जालसाजी से इन दिनों सुर्खियों में है और पकड़ में आने के बाद पुलिस उसे और उसके साथी को रिमांड पर लेने की तैयारी में है। 23 शहरों में जालसाजी का जाल और लाखों लोगों के साथ बाइक टैक्सी चलाने के नाम पर 13 हजार करोड़ से ज्यादा का फरेब करने वाले गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (बाइक बोट) कंपनी के मालिक संजय भाटी व कंपनी के निदेशक विजय पाल कसाना को 7 दिन के रिमांड पर लेने के लिए पुलिस ने कोर्ट में अर्जी दी है।

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संजय भाटी नामक ठग न बंदूक से लूटता है न चाकू से इसका हथियार है बाइटबोट। सुनने में अजीब लगने वाले बाइक बोट  नाम से देखते ही देखते इस महाठग ने दो लाख से अधिक लोगों को लगा दिया 13 हजार करोड़ का चूना। पुलिस की जांच में पता चला कि इसने 55 लोगों की टीम बना रखी थी। लोगों का आरोप है कि कंपनी ने बाइक बोट के नाम से स्कीम निकाली जिसमें बताया गया कि एक बाइक की कीमत के 62,100 रुपये जमा कराने पर एक साल में दो गुना रकम निवेशक को वापस मिलेगी। कंपनी ने इस तरह लाखों लोगों को अपने झाल में फंसाकर उनके हजारों करोड़ रुपये हड़प लिए। एसएसपी वैभव कृष्ण ने इस मामले की जांच के लिए नोएडा आर्थिक अपराध शाखा में एक एसआईटी का गठन किया।

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किसम्त बदलने का दावा करके लोगों को कंगाल बनाने वाले इस माहठग ने मोटरसाइकिल टैक्सी सर्विस के नाम से ठगी का ऐसा जाल बिछाया और लोगों को भारी मुनाफे के सपने दिखाकर इन्वेस्टमेंट प्लान समझाया कि 2 लाख लोगों ने इस कंपनी में निवेश कर लिया। बाइक बोट स्कीम के तहत एक बाइक की कीमत रखी गयी थी 62100 रुपए। जिससे लोगों को एक महीने की कमाई बताई गयी 9765 रुपए। इस हिसाब से साल भर की कमाई बताई गयी 117180 रुपए। लोगों को एक साल में 55080 के प्रॉफिट का लालच दिया गया।

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बाइक बोट के मालिक की गिरफ्तारी के बाद निवेशकों को उम्मीद है कि उनके पैसे वापस मिल जाएंगे लेकिन उनकी उम्मीदों को करारा झटका लग सकता है। संजय भाटी के पास निवेशकों को लौटाने के लिए पैसा है ही नहीं। उसने रियल एस्टेट में करोड़ों का निवेश किया है। लेकिन इन संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं कराई है। ऐसें में यह साबित कर पाना कठिन होगा की ये संपत्ति उसी की है। इस लिहाजे से बरामदगी मुश्किल होगी। इसके अलावा लोकसभा चुनाव लड़ने की फिराक में भाटी ने करोड़ों रूपए फूंक दिए। गौरतलब है कि संजय भाटी बहुजन समाज पार्टी का नेता बताया जाता है। बसपा ने भाटी को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया था। लेकिन ठगी उजागर होने के बाद उसका टिकट रद्द कर सतबीर नागर को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसके अलावा खबरों के अनुसार भाजपा के एक बड़े नेता के साथ फोटो खिंचवाने के फेर में संजय भाटी ने पांच करोड़ रुपए खर्च कर दिए थे। अपना न्यूज चैनल चलाने के नाम पर भी करोड़ों के विज्ञापन अखबारों को जारी किए थे।

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साल 2017 में धोखाधड़ी का एक ऐसा ही बड़ा मामला उजागर हुआ था जब दिल्ली-एनसीआर के करीब 40 हजार लोगों  के साथ लाइक कराने के नाम पर करीब 3700 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। इसके बाद पुलिस ने आरोपी अनुभव मित्तल और उसके परिजनों को गिरफ्तार कर लिया था। एब्लेज इंफो सॉल्यूशंस नाम की कंपनी मेंबर बनाने के नाम पर सोशल नेटवर्किंग साइट पर लोगों को गुमराह करती थी। मेंबर बनाने के बाद कंपनी अपने यूजर्स को एक आईडी और पासवर्ड मुहैया कराती थी, जिस पर कुछ लिंक भेजे जाते थे। हर लाइक पर लोगों को 5 रुपए दिए जाते थे। कुछ दिनों तक तो पैसे मिले पर बाद में पैसे मिलने बंद हो गए। एक तरफ अनुभव मित्तल आम लोगों को ठग रहा था तो दूसरी तरफ उसी पैसे का इस्तेमाल अपनी निजी जिंदगी में शाओशौकत दिखाने के लिए करता था। 

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साल 2018 में एक और ठगी का बड़ा मामला उजागर हुआ था जब यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के मथुरा में 126 करोड़ के जमीन खरीद घोटाले मामले के मुख्य आरोपित सेवानिवृत्त आईएएस और प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता का नाम सामने आया था। पीसी गुप्ता पर आरोप है कि उसने यमुना प्राधिकरण का सीईओ रहते हुए भाई, भतीजे और करीबी रिश्तेदारों के नाम मथुरा में किसानों से सस्ती दर पर मास्टर प्लान से बाहर जाकर जमीन खरीदवाई और दो माह के अंतराल में ही उस जमीन को प्राधिकरण ने खरीद लिया। जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई थी।

 

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