उमर अब्दुल्ला ने हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए लोगों के शव लौटाने की मांग को लेकर दिया धरना

Omar Abdullah

अब्दुल्ला ने यहां म्युनिसिपल पार्क में संवाददाताओं से कहा, “हम सरकार के विरोध में नहीं बोल रहे हैं, हम केवल शव वापस करने की मांग कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “हम यहां शांतिपूर्वक बैठे हैं। अगर हम चाहते तो सड़कें, पुल अवरुद्ध कर सकते थे लेकिन नहीं किया।

श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के हैदरपोरा में हुई मुठभेड़ में मारे गए आम नागरिकों के शव लौटाने की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को धरना प्रदर्शन किया। अब्दुल्ला ने यहां म्युनिसिपल पार्क में संवाददाताओं से कहा, “हम सरकार के विरोध में नहीं बोल रहे हैं, हम केवल शव वापस करने की मांग कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “हम यहां शांतिपूर्वक बैठे हैं। अगर हम चाहते तो सड़कें, पुल अवरुद्ध कर सकते थे लेकिन नहीं किया। कोई नारेबाजी नहीं हो रही , कानून व्यवस्था को कोई खतरा नहीं और सड़क मार्ग अवरुद्ध नहीं किया गया है।”

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श्रीनगर में सोमवार को हुई एक मुठभेड़ पर विवाद उत्पन्न हो गया है। पुलिस का दावा है कि मारे गए दो आम नागरिक आतंकवादियों के साथी थे, जबकि मृतकों के परिजनों ने इसका खंडन किया है। इसके बाद से विभिन्न राजनीतिक दलों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। अब्दुल्ला ने कहा कि पुलिस ने यह स्वीकार किया है कि दोनों पक्षों की ओर से हुई गोलीबारी में आम नागरिक मारा गया और इसके बावजूद उसके शव को परिजनों को देने की बजाय उसे हंदवाड़ा में दफन कर दिया गया। अब्दुल्ला ने कहा, “हमने आज सुबह सुना कि परिजनों को पीसीआर बुलाया गया था और हमें उम्मीद थी कि फारूक अब्दुल्ला के उपराज्यपाल से बात करने के बाद, इस पर कार्रवाई होगी इसलिए हमने इंतजार किया।

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हम पूर्वाह्न 11 बजे से यह सोचकर अपने कार्यालय में इंतजार करते रहे कि कुछ किया जाएगा लेकिन उन्हें (परिजनों) दो तीन दिन इंतजार करने के लिए कह दिया गया।” नेकां नेता ने कहा कि वह उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से आग्रह करते हैं कि वह मृतकों के परिजनों को न्याय दिलाने का आश्वासन दें। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी शव वापस करने की मांग को लेकर यहां विरोध प्रदर्शन किया और जुलूस निकाला। उन्होंने हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराने की मांग की।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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