पूर्वी लद्दाख में उपकरणों का क्षमता से अधिक इस्तेमाल करना पड़ा: वायु सेना प्रमुख

VR Chaudhary
प्रतिरूप फोटो

हिंडन एयरबेस पर आठ अक्टूबर को 89वें वायु सेना दिवस पर संबोधन में एयर चीफ मार्शल ने जोर देकर कहा था कि पिछले वर्ष पूर्वी लद्दाख में हुए घटनाक्रमों पर वायु सेना की तत्पर कार्रवाई उसकी लड़ाकू तैयारी का प्रमाण थी।

नयी दिल्ली| वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले साल पूर्वी लद्दाख में उपजे हालात में बड़ी संख्या में वायु सेना कर्मियों को स्वयं को परिस्थितियों के अनुकूल ढालना पड़ा तथा उपकरणों का उनकी क्षमता से अधिक इस्तेमाल करना पड़ा, लेकिन अगर परिस्थितियां लंबे समय तक ऐसी रहती हैं तो बल की तैयारी अब काफी बेहतर है।

वायु सेना प्रमुख ने यहां एक रक्षा कॉन्क्लेव में कहा कि चिंता की बात है कि जवानों की संख्या लगातार कम हो रही है, जबकि उनकी भर्ती एक तरह से बंद है। उन्होंने कहा कि लड़ाकू दस्ते में आती कमी की, तेजी से नये जवानों की भर्ती के साथ भरपाई की जानी चाहिए ताकि ‘‘हम अपनी समग्र क्षमताओं को न खोएं’’।

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पिछले साल पूर्वी लद्दाख के हालात पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में क्षेत्र की कठोर परिस्थितियों में सामने आईं चुनौतियों के कारण ‘हमें आभास हुआ है कि हम कहां पिछड़ गये हैं’, फिर चाहे यह वहां रहने वाले लोगों के लिए पर्याप्त परिधानों और रिहायशों की बात हो।

उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वी लद्दाख में पिछले साल जो हालात बने, उससे हम बहुत वाकिफ नहीं थे, खासतौर पर उस तरह के माहौल में जिसमें हमें अभियान चलाने की जरूरत पड़ी। इसके लिए बड़ी संख्या में सैनिकों को बहुत कम समय में परिस्थितियों के अनुकूल खुद को ढालना पड़ा, उपकरणों का क्षमता से अधिक इस्तेमाल करना पड़ा, कुछ का इस तरह इस्तेमाल करना पड़ा जिनकी अनुमति नहीं थी।’’

वायु सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमने उपकरणों को ऊंचाई पर पहुंचाया। उन ऊंचाइयों से भी ऊपर जो जांची-परखी थीं।’’ पिछले साल जून के मध्य में पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ने के बाद, वायु सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पूर्वी लद्दाख और अन्य स्थानों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 विमानों जैसे अपने लगभग सभी अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को तथा युद्धक हेलीकॉप्टरों को तैनात किया था। कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित सम्मेलन में वायु सेना प्रमुख ने एक प्रश्न के उत्तर में क्षेत्र में वायु सेना के सामने आने वाली अन्य चुनौतियों को भी साझा किया।

उन्होंने कहा कि जवानों की सेहत का ध्यान रखते हुए उन्हें लगातार बारी-बारी से तैनात करने की भी चुनौती रही है। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, ‘‘नतीजतन, पिछले एक साल में, हमने महसूस किया है कि कहां कमी है, चाहे वह लोगों के लिए पर्याप्त परिधान, रिहायशी बंदोबस्त के मामले में हो। इसलिए, हमने अब उन सभी कमियों को दूर कर लिया है, और मुझे लगता है, हम बेहतर तरीके से तैयार हैं, अगर यह और लंबा चलता है तो हम इस सर्दी में पिछले साल की तुलना में ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार हैं।’’

हिंडन एयरबेस पर आठ अक्टूबर को 89वें वायु सेना दिवस पर संबोधन में एयर चीफ मार्शल ने जोर देकर कहा था कि पिछले वर्ष पूर्वी लद्दाख में हुए घटनाक्रमों पर वायु सेना की तत्पर कार्रवाई उसकी लड़ाकू तैयारी का प्रमाण थी।

उन्होंने कहा कि बीता वर्ष ‘‘बेहद चुनौतीपूर्ण लेकिन खासा लाभदायक रहा।’’ भारत के समक्ष खतरों से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मैं भरोसा दिला सकता हूं कि हमारे समक्ष जो खतरे हैं, हम उनसे भलीभांति परिचित हैं और इस तरह के खतरों से निबटने के लिए अधिग्रहण, प्रशिक्षण और तौर-तरीके विकसित किए जा रहे हैं।’’

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उन्होंने बताया कि सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ वायु सेना के लिए 83 हल्के लड़ाकू विमान तेजस के लिए अनुबंध किया गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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