संसदीय समिति ने सरकार को पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि पर पुन: विचार विमर्श का सुझाव दिया

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संसद की एक समिति ने वर्तमान सिंधु जल संधि में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान, पर्यावरणीय प्रभाव जैसे विषयों के शामिल नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि भारत सरकार को पाकिस्तान के साथ इस जल संधि पर पुन: विचार विमर्श करना चाहिए।

नयी दिल्ली। संसद की एक समिति ने वर्तमान सिंधु जल संधि में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान, पर्यावरणीय प्रभाव जैसे विषयों के शामिल नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि भारत सरकार को पाकिस्तान के साथ इस जल संधि पर पुन: विचार विमर्श करना चाहिए। लोकसभा में बृहस्पतिवार को पेश डा. संजय जायसवाल की अध्यक्षता वाली, जल संसाधन संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

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रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति यह पाती है कि यद्यपि सिंधु जल संधि समय की कसौटी पर खरी उतरी है, फिर भी उसका विचार है कि संधि को वर्ष 1960 में समझौते के समय मौजूद जानकारी और प्रौद्योगिकी के अनुसार बनाया गया था। ’’ इसमें कहा गया है कि उस समय दोनों देशों का दृष्टिकोण बांधों, नहरों के निर्माण, विद्युत ऊर्जा के उत्पादन के माध्यम से नदी प्रबंधन तथा पानी के उपयोग तक ही समिति था। समिति ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान, पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन आदि अहम विषय हैं जिन्हें उस समय संधि में शामिल नहीं किया गया था, इसलिये संधि पर पुन: विचार विमर्श करने की आवश्यकता है।

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रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ इसको ध्यान में रखते हुए समिति इस जल संधि पर भारत सरकार सेपाकिस्तान के साथ पुन: विचार विमर्श करने के लिये कूटनीतिक उपाय करने का आग्रह करती है।’’ समिति ने यह भी कहा कि यद्यपि भारत को सिंधु जल संधि के अनुसार पश्चिम नदियों पर 36 लाख एकड़ फीट (एमएएफ) तक पानी का भंडारण करने का अधिकार है लेकिन भारत द्वारा अब तक कोई भंडारण क्षमता नहीं बनाई गई है। इसमें कहा गया है कि पश्चिम नदी विद्युत परियोजनाओं से लगभग 20 हजार मेगावाट की अनुमानित विद्युत क्षमता को हासिल किया जा सकता है लेकिन अभी तक केवल 3482 मेगावाट क्षमता का ही निर्माण किा जा सका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संधि भारत के लिये यह उपबंध करती है कि वह पश्चिमी नदियों के पानी से 13,43,477 एकड़ सिंचित फसल क्षेत्र को विकसित कर सकता है।

फसल वर्ष 2019-20 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पश्चिमी नदियों से संबंधित, भारत द्वारा विकसित सिंचित फसल क्षेत्र 7,59,859 एकड़ है। समिति ने यह देखते हुए सिफारिश की है कि संधि के प्रावधानों के अनुसार पानी के भंडारण सहित पश्चिमी नदियों से सिंचाई और विद्युत ऊर्जा क्षमता के अधिकतम उपयोग और पानी का पूर्ण उपयोग करने के लिये सिंधु जल संधि के प्रावधानों की व्यवहार्यता की जांच करनी चाहिए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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