सरकार-किसान वार्ता से पहले बोलीं हरसिमत कौर, केंद्र कृषक समुदाय का खो चुका है भरोसा

Harsimrat Kaur Badal

पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा, ‘‘यह अजीब है कि किसान कंपकंपा देने वाली ठंड में खुले में रात गुजार रहे हैं और बहरे कानों तक उनकी आवाजें नहीं पहुंच पा रही है।’’

नयी दिल्ली। सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच आठवें दौर की वार्ता के एक दिन पहले शिरोमणि अकाली दल की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि केंद्र कृषक समुदाय का भरोसा खो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आंदोलनकारी किसानों के साथ सीधे वार्ता करनी चाहिए। किसानों की पीड़ा पर अपना दुख प्रकट करते हुए बादल ने कहा, ‘‘यह अजीब है कि किसान कंपकंपा देने वाली ठंड में खुले में रात गुजार रहे हैं और बहरे कानों तक उनकी आवाजें नहीं पहुंच पा रही है।’’ 

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लोकसभा में तीनों कृषि कानून पारित होने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वालीं बादल ने दिए एक साक्षात्कार में कहा कि पिछले छह सात-हफ्ते में किसानों ने जो सामना किया है केंद्रीय मंत्री रहते हुए उन्हें भी इसका सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा, ‘‘अब जो स्थिति पैदा हुई है और विरोध हो रहा है, इससे बचने के लिए मैं महीनों तक मंत्रिमंडल की बैठकों में या केंद्र सरकार के शीर्ष नेताओं के साथ सीधी वार्ता में यह कहती रही कि तीनों विधेयक लाने के पहले एक बार किसानों की बात सुन लीजिए क्योंकि वे देश के अन्नदाता हैं। अन्यथा आंदोलन होगा, लोग विरोध प्रदर्शन करेंगे। लेकिन बहरे कानों तक मेरी आवाज नहीं पहुंच पायी।’’ 

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प्रदर्शन के दौरान किसानों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार होगा, इस बारे में पूछे जाने पर बादल ने कहा कि केंद्र देश में किसानों का भरोसा गंवा चुका है। बादल ने कहा, ‘‘किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार के दरवाजे पर मर रहे हैं। देश में अन्नदाताओं की मौत के लिए कौन जिम्मेदार होगा?’’ प्रदर्शन कर रहे किसानों और केंद्र के बीच चल रही बैठकों के बारे में पूछे जाने पर बादल ने कहा कि सात दौर की वार्ता के बावजूद कोई परिणाम नहीं निकल पाया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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