Deepfake Videos को लेकर राजनीति हुई तेज, PM के बयान पर Congress और Shivsena UBT ने साधा निशाना

डीप फेक का मुद्दा किस तरह गर्माता जा रहा है और इसकी चपेट में कैसे बड़े-बड़े लोग आ रहे हैं इसकी बानगी तब देखने को मिली जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्होंने गरबा महोत्सव में भाग लेते हुए अपना एक वीडियो देखा, जबकि उन्होंने स्कूल के दिनों से ऐसा नहीं किया है।
कृत्रिम मेधा (एआई) और ‘डीप फेक’ प्रौद्योगिकी से उत्पन्न चुनौतियां बढ़ती ही जा रही हैं। हम आपको बता दें कि कम्प्यूटर के माध्यम से वीडियो, छवियों और ऑडियो में हेरफेर करने की विधि को ‘डीप फेक’ कहा जाता है। इस शक्तिशाली तकनीक का उपयोग करके रोजाना किसी ना किसी का डीप फेक वीडियो सामने आ रहा है और देखते ही देखते सोशल मीडिया मंचों पर वायरल हो जा रहा है जिससे मुश्किलें बढ़ गयी हैं।
देखा जाये तो देश में डीप फेक का मुद्दा किस तरह गर्माता जा रहा है और इसकी चपेट में कैसे बड़े-बड़े लोग आ रहे हैं इसकी बानगी तब देखने को मिली जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्होंने गरबा महोत्सव में भाग लेते हुए अपना एक वीडियो देखा, जबकि उन्होंने स्कूल के दिनों से ऐसा नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे जैसे विविधतापूर्ण समाज में ‘डीप फेक’ एक बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं और यहां तक कि समाज में असंतोष की आग भी भड़का सकते हैं क्योंकि लोग मीडिया से जुड़ी किसी भी चीज पर उसी तरह भरोसा करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कृत्रिम मेधा के माध्यम से उत्पादित ‘डीप फेक’ के कारण एक नया संकट उभर रहा है। समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जिसके पास समानांतर सत्यापन प्रणाली नहीं है।’’ उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उन्हें इस बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया का सहयोग चाहिए।
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वहीं दूसरी ओर 'डीप फेक' मुद्दे पर कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी 2014 से इस मुद्दे को उठा रही है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'प्रधानमंत्री 'डीप फेक' को लेकर अब देश के लोगों को आगाह कर रहे हैं जबकि हम मई 2014 से इसके बारे में बात कर रहे हैं।' दूसरी ओर शिवसेना यूबीटी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर मीडिया से सहयोग मांग रहे हैं जबकि उनकी सरकार को इस बारे में सख्त नियम कानून बनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच में तेजी भी जरूरी है क्योंकि विपक्ष के जिन नेताओं के एप्पल आईफोन हैक करने के प्रयास किये गये थे उनकी जांच के मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं हुआ है।
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