शुरू होगी मध्यस्थता की कार्यवाही, जाने कौन हैं शाहीन बाग के मध्यस्थ हेगड़े, साधना और हबीबुल्लाह

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अभिनय आकाश । Feb 18 2020 9:57AM

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थत नियुक्त संजय हेगड़े सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। वह 1989 से वकालत के पेशे में हैं और 1989 में उन्होंने एलएलबी की पढाई बॉम्बे विश्वविद्यालय से की और फिर 1991 में एलएलएम की पढ़ाई भी यहीं की।

शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन जारी है और इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े को मध्यस्थ नियुक्त किया है। कोर्ट ने वकील साधना रामचंद्रन और वजहत हबीबुल्लाह को भी वार्ताकार बनाया है। उन्हें प्रदर्शनकारियों को मनाकर धरनास्थल बदलने की जिम्मेदारी दी गई है। मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी। वहीं खबरों के अनुसार संजय हेगड़े आज शाम शाहीन बाग जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अन्य मध्यस्थत की उपलब्धता के बाद ही शाहीन बाग जाने का समय तय किया जाएगा। जानें- कौन हैं ये?

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संजय हेगड़े

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थत नियुक्त संजय हेगड़े सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। वह 1989 से वकालत के पेशे में हैं और 1989 में उन्होंने एलएलबी की पढाई बॉम्बे विश्वविद्यालय से की और फिर 1991 में एलएलएम की पढ़ाई भी यहीं की। हाल ही में अपने एक ट्वीट से चर्चा में आए थे। नाज़ी-विरोधी तस्वीर पोस्ट करने के कारण उनका अकाउंट भी कुछ दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था। संजय हेगड़े मॉब लिंचिंग और मुंबई के आरे जंगल के पक्ष में वकील भी रह चुके हैं। 

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साधना रामचंद्रन 

दिल्ली हाईकोर्ट के समझौता केंद्र (समाधान) की सचिव रहीं साधना सीनियर वकील हैं। 1978 से वे सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं। वे मानवाधिकार आयोग से जुड़ी रही हैं और कई बड़ी जांचों का भी हिस्सा रही हैं। मई 2014 में उन्होंने बेलफास्ट में आयोजित 'अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन' में एक पेपर भी पेश किया था।

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वजाहत हबीबुल्लाह

पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। 1968 बैच के IAS अफसर थे, अगस्त 2005 में रिटायर हुए थे। रिटायरमेंट के बाद अक्तूबर 2005 में वह देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त किए गए और पांच सालों तक इस पद पर रहे। वजाहत, पंचायती राज मंत्रालय में भारत सरकार के सचिव रहे हैं। सीएए की संवैधानिक वैधता पर गंभीर आपत्तियों को लेकर नौकरशाहों ने जो खुला खत लिखा था उसमें वजाहत का नाम भी शामिल था।

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