नियमित नौकरी नहीं मिलने पर इमारत की छत पर चढ़े कैजुअल शिक्षक, दी आत्महत्या की धमकी

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अस्थायी शिक्षक संघ के बैनर तले 500 से अधिक शिक्षकों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर अपनी मांगें स्वीकार करने का दबाव बनाने के लिए पीएसईबी भवन के बाहर धरना दिया। बहुमंजिला इमारत के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।

मोहाली (पंजाब)। बड़ी संख्या में अस्थायी शिक्षकों ने नौकरी नियमित करने और वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर बुधवार को यहां पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) के बाहर धरना दिया। इनमें से कुछ प्रदर्शनकारी पेट्रोल से भरी बोतलें और कुछ जहरीला पदार्थ लेकर जान देने की धमकी देते हुए कार्यालय भवन की छत पर पहुंच गए। अस्थायी शिक्षक संघ के बैनर तले 500 से अधिक शिक्षकों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर अपनी मांगें स्वीकार करने का दबाव बनाने के लिए पीएसईबी भवन के बाहर धरना दिया। बहुमंजिला इमारत के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। हालांकि, करीब छह प्रदर्शनकारी पेट्रोल से भरी बोतलें और कुछ जहरीला पदार्थ लेकर छत तक पहुंचने में सफल रहे। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा नहीं करने पर अपनी जान देने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि कुछ जहरीला पदार्थ खा लेने के बाद एक शिक्षिका को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बाद में उन्हें छुट्टी दे दी गयी। प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने भवन के भीतर फंसे पीएसईबी के कर्मचारियों को बुधवार शाम घर जाने की अनुमति दे दी। इससे पहले प्रदर्शन कर रहे शिक्षक अपनी मांगे पूरी होने तक कर्मचारियों को भवन से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दे रहे थे।

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प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उनकी मांग है कि राज्य में पिछले कई वर्षों से अध्यापन कर रहे कुल 13,000 अस्थायी शिक्षकों को बिना किसी शर्त के नियमित किया जाए। तरनतारन जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने वाले सतिंदर सिंह ने कहा, ‘‘मैंने 2011 में 2,000 रुपये के वेतन पर शुरुआत की थी और अभी मुझे सिर्फ 6,000 रुपये मिल रहे हैं।’’ प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने पिछले साढ़े चार साल में उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करने के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की आलोचना की। एक प्रदर्शनकारी शिक्षक ने कहा कि सिंह ने सत्ता में आने से पहले उनसे वादा किया था कि उनकी मांगें मान ली जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उनके कार्यकाल के साढ़े चार साल पूरे होने के बावजूद अभी तक कुछ नहीं किया गया है।’’

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आंदोलनकारी शिक्षकों ने पंजाब के शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला से मुलाकात की भी मांग की। इस बीच, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने अस्थायी शिक्षकों के प्रति उदासीन रवैये के लिए कांग्रेस सरकार की आलोचना की। भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री को ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया जिसमें शिक्षकों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उनकी मांगों की अनदेखी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब एक ऐसा राज्यजहां सभी वर्ग अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से नाखुश हैं। उन्होंने एक बयान में आरोप लगाया, सरकारी कर्मचारी हों, शिक्षक हों या उद्यमी, सभी अमरिंदर सिंह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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