भारतीय शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग तीन अप्रैल को जारी होगी
सरकार ने आज बताया कि भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की इस वर्ष की रैंकिंग आगामी तीन अप्रैल को घोषित की जाएगी।
सरकार ने आज बताया कि भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की इस वर्ष की रैंकिंग आगामी तीन अप्रैल को घोषित की जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि देश में शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद’ (नैक) तथा ‘नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिएशन’ (एनबीए) करते हैं। इसके अलावा ‘राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (एनआईआरएफ) की शुरूआत 2015 में की गयी।
एनआईआरएफ पांच व्यापक मापदंडों के आधार पर संस्थानों को रैंकिंग प्रदान करता है। इनमें शिक्षण-अधिगम संसाधन, अनुसंधान एवं व्यावसायिक प्रक्रियाएं, पहुंच एवं समावेशिता, अवर स्नातक परिणाम और अवधारणा जैसे मानक शामिल हैं। जावड़ेकर ने रवींद्र कुमार पांडेय के प्रश्न के उत्तर में बताया कि पिछले साल इसमें विभिन्न क्षेत्रों के 3563 संस्थानों को शामिल किया गया और इस साल भी लगभग इतने ही संस्थान शामिल किये गये हैं। इस वर्ष 43 मेडिकल कॉलेज और 49 लॉ कॉलेजों को भी इसमें पहली बार शामिल किया गया है।
सरकार द्वारा इस संबंध में दिये गये एक उत्तर के मुताबिक एनआईआरएफ ने विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग, फार्मेसी और प्रबंधन संस्थाओं के लिए गत वर्ष चार अप्रैल को पहली भारतीय रैंकिंग, 2016 प्रस्तुत की थी। जो एनआईआरएफ की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इस वर्ष की रैंकिंग आगामी तीन अप्रैल को घोषित की जाएगी। जावड़ेकर ने कहा कि इसमें देश के संस्थानों की रैंकिंग को वैज्ञानिक तरीके से मापा जाता है जिससे छात्रों को शिक्षण संस्थान का चुनाव करने में मदद मिल सके। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्थानों की रैंकिंग के प्रश्न पर जावड़ेकर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारतीय शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग को लेकर उनमें सुधार की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में 80-90 हजार विद्वान अमेरिका और पश्चिमी देशों के होते हैं लेकिन भारत सरकार अब भारतवंशी समुदाय को इस संबंध में अपने साथ जोड़ रही है तथा अंतरराष्ट्रीय शिक्षकों को यहां पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया जाता है जिससे निश्चित रूप से सुधार होगा।
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