RGPV द्वारा संविदा प्राध्यापकों को नौकरी से निकाला गया, ऑनलाइन शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन

RGPV
दिनेश शुक्ल । May 17 2020 7:02PM

इसके विरोध में सभी आरजीपीवी के संविदा प्राध्यापक प्रांतीय तकनीकी अतिथि एवं संविदा प्राध्यापक महासंघ ने महासंघ के बैनर तले आंदोलन कर रहे हैं। इसमें वह काली पट्टी काला गमछा या काला रुमाल बांधकर फेसबुक एवं ट्विटर पर अपनी फोटो लगा माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री को टैग कर रहे हैं एवं उनसे मदद की गुहार कर रहे हैं।

भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल ने अपने घटक दल यूआईटी में कार्यरत तकरीबन 80 संविदा प्राध्यापकों को कुलपति की अनुशंसा पर बाहर कर दिया यह आर्डर 15 मई 2020 को शाम को जारी हुआ। यह आर्डर संचालक आर.एस. राजपूत ने कुलपति सुनील गुप्ता जी की अनुशंसा पर निकाला। इस आदेश के बाद संविदा प्राध्यापकों के खेमे में उदासी छाई है एवं उन्हें आर्थिक तंगी  का भय सताने लगा है। इसके विरोध में सभी आरजीपीवी के संविदा प्राध्यापक प्रांतीय तकनीकी अतिथि एवं संविदा प्राध्यापक महासंघ ने महासंघ के बैनर तले आंदोलन कर रहे हैं। इसमें वह काली पट्टी काला गमछा या काला रुमाल बांधकर फेसबुक एवं ट्विटर पर अपनी फोटो लगा माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री को टैग कर रहे हैं एवं उनसे मदद की गुहार कर रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में 10वीं के विद्यार्थीयों को नहीं देने होगें अब बाकी पेपर , मुख्यमंत्री चौहान ने की घोषणा

प्रदेश अध्यक्ष देवांश जैन ने बताया कि बीते 15 अप्रैल को ही एक आदेश जारी कर AICTE ने क्लियर कर दिया था की किसी भी फैकल्टी को नौकरी से बाहर नहीं किया जाएगा और अगर आपने ऐसा कर दिया है, तो उन्हें तुरंत वापस ले। परंतु आरजीपीवी के अधिकारियों ने उस आदेश का भी अनदेखा किया। प्रदेश सचिव प्रवीण कैथल ने बताया कि नौकरी से न निकालने के आदेश एमएचआरडी एवं श्रम मंत्रालय निकाल चुका है और स्वयं प्रधानमंत्री जी भी किसी को भी नौकरी से न निकालने का आवाहन कर चुके हैं। इसके बावजूद भी आज भी RGPV के अधिकारियों ने यह मनमानी की है।

इसे भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में इस साल भी गेहूँ का बंपर उत्पादन, पूरे देश में ऑल टाइम रिकार्ड उपार्जन करने वाला दूसरा प्रदेश बना

जिला अध्यक्ष आशीष भट्ट ने बताया यह कि यह पूरी तरह अमानवीय व्यवहार है एवं संविदा प्राध्यापकों को आर्थिक एवं मानसिक के तरीके से तोड़ने की एक चाल है। आरजीपीवी ने अपने 130 संविदा प्राध्यापकों में से केवल 80 ही बाहर निकाले है, बाकियों को अभी बाहर नहीं किया है। कुलपति जी का बार-बार यह कहना है कि यह हर साल होने वाली एक प्रोसेस है, लेकिन केवल 80 के लिए यह प्रोसेस करना एवं बाकियों के लिए ना दोहराने के पीछे कोई गहरी चाल समझ आती है। जिला अध्यक्ष आशीष भट्ट का आरोप है कि आरजीपीवी के कुलपति भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद बीडी शर्मा के करीबी माने जाते हैं एवं भाजपा सरकार के वापस आ जाने पर दोबारा अपनी मनमानी पर उतारू है और अपने आपको एआईसीटीई एमएचआरडी एवं श्रम मंत्रालय से ऊपर मान रहे हैं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़