RSS विचारक एमजी वैद्य का हुआ अंतिम संस्कार, मोहन भागवत और नितिन गडकरी ने दी श्रद्धांजलि

Mohan Bhagwat

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पत्रकारों से कहा कि एम जी वैद्य ने संघ की विचारधारा की रक्षा की और उसी के अनुसार जीवन व्यतीत किया। वह आरएसएस के विश्वकोश थे।

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक माधव गोविंद वैद्य का महाराष्ट्र के नागपुर में रविवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। आरएसएस के पहले प्रवक्ता वैद्य (97) का संक्षिप्त बीमारी के बाद शनिवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था और रविवार सुबह शहर के अंबाजारी श्मशान में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, आरएसएस नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया, महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख, राज्य के पूर्व ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बवनकुले, स्वयंसेवक और कई अन्य लोग अंतिम संस्कार में शरीक हुए। इस दौरान दो मिनट का मौनरखा गया। अंतिम संस्कार से पहले भागवत आज सुबह वैद्य के घर गए थे। 

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वैद्य के घर से आने के बाद भागवत ने पत्रकारों से कहा कि एम जी वैद्य ने संघ की विचारधारा की रक्षा की और उसी के अनुसार जीवन व्यतीत किया। वह आरएसएस के विश्वकोश थे। उनके निधन के बाद खालीपन सा पैदा हो गया है। हमें लग रहा है कि जैसे हमने एक अभिभावक खो दिया हो। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हम उनसे सलाह लिया करते थे। अब, यह दुविधा पैदा हो गई है कि सलाह के लिए किसके पास जाया जाए। जीवन किस प्रकार जिया जाता है, उन्होंने हमें इसका उदाहरण दिया। उनकी कमी महसूस होगी। वैद्य को श्रद्धांजलि देने के लिये 31 दिसंबर को यहां रेशमीबाग में डॉक्टर हेडगेवार स्मृति मंदिर में एक सभा आयोजित की जाएगी। 

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केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार रात वैद्य के घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने रविवार को वैद्य के निधन पर शोक व्यक्त किया। शहर के आरएसएस समर्थित मराठी दैनिक तरुण भारत के पूर्व मुख्य संपादक वैद्य नागपुर में मोरिस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही वर्ष 1943 में संघ के सदस्य बने। तरुण भारत के एक पूर्व संपादक ने कहा कि वैद्य आरएसएस के पहले प्रचार प्रमुख (प्रवक्ता) नियुक्त किए गए थे। वैद्य संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख भी रहे। इस वर्ष जनवरी में वैद्य ने महाराष्ट्र को चार हिस्सों में विभाजित करने की मांग उठाकर विवाद खड़ा कर दिया था और इस मांग को लेकर वह विभिन्न वर्गों के निशाने पर आ गए थे।

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