Rajasthan में कांग्रेस ऐसे करेगी डैमेज कंट्रोल, सचिन पायलट को बनाया जा सकता है प्रदेश अध्यक्ष
खरगे गहलोत और पायलट से अलग-अलग मिलेंगे, पार्टी के सूत्रों ने कहा, क्योंकि यह उनके दोनों दृष्टिकोणों को समझने के लिए नेतृत्व का पहला कदम था।
राजस्थान की राजनीति में सियासी सरगर्मी काफी है। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दिल्ली तलब किया गया है। चुनाव से पहले आलाकमान दोनों नेताओं के बीच मतभेद दूर करने की कोशिश करेगा। सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। खरगे गहलोत और पायलट से अलग-अलग मिलेंगे, पार्टी के सूत्रों ने कहा, क्योंकि यह उनके दोनों दृष्टिकोणों को समझने के लिए नेतृत्व का पहला कदम था। उन्होंने कहा कि मतभेदों को दूर करने के बाद ही संयुक्त बैठक हो सकती है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (आरपीसीसी) जुलाई 2020 से उथल-पुथल की स्थिति में है, जब पायलट ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर विद्रोह किया था।
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दोनों के बीच चल रही खींचतान में शांति कायम करने की कोशिश के रूप में पार्टी आलाकमान की तरफ से ये कवायद की जा रही है। राज्य में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी ने पायलट के बगावत के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया था। लेकिन उसके बाद से तनाव बरकरार है। पिछली वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर अप्रैल में जयपुर में पायलट द्वारा एक दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठने के बाद विवाद बढ़ता नजर आया था।
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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने देर रात बयान जारी करते हुए कहा कि उपवास पार्टी के हितों और पार्टी विरोधी गतिविधि के खिलाफ था। पायलट के अनशन को गहलोत को घेरने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। कुछ दिनों बाद केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व डिप्टी सीएम से बातचीत की।
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