क्या भाजपा के लिए गले का फांस बन चुकी हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर?

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अंकित सिंह । Jul 22 2019 5:52PM

अपने विवादित बयान से प्रज्ञा ठाकुर सुर्खियों में तो रहती ही हैं, भाजपा के लिए भी कई परेशानियों को जन्म दे देती है। प्रज्ञा की ये हरकतें पार्टी की छवि को आघात पहुंचा रही है।

चुनाव के दौरान खेले गए दांव पेंच कभी-कभी पार्टियों के लिए सरदर्द बन जाते हैं और शायद यहीं भाजपा के साथ हो रहा है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने माले गांव ब्लास्ट की मुख्य आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार कर मास्टर स्ट्रोक खेला था। पर यह किसे पता था कि भाजपा का यह मास्टर स्ट्रोक उसी के लिए गले का फांस बन जाएगा। भाजपा के लिए प्रज्ञा ठाकुर फिलहाल परेशानी का सबब बनी हुई हैं। अपने विवादित बयान से प्रज्ञा ठाकुर सुर्खियों में तो रहती ही हैं, भाजपा के लिए भी कई परेशानियों को जन्म दे देती है। प्रज्ञा की ये हरकतें पार्टी की छवि को आघात पहुंचा रही है। 

'हिंदू आतंकवाद' की अवधारणा को चुनौती देने के लिए भाजपा ने प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से दिग्विजय सिंह के खिलाफ उतारा था। पर पार्टी में शामिल होने के साथ ही उन्होंने मुबंई हमले में शहीद हुए जवान को लेकर विवादित बयान दे दिया था। ठाकुर ने दावा किया था कि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान हेमंत करकरे इसलिए मारे गए क्योंकि मेरा ‘उत्पीड़न’ करने के कारण मैंने उन्हें शाप दिया था। प्रज्ञा के इस बयान के बाद हर तरफ उनकी आलोचना होने लगी और पार्टी के कहने के बाद उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी। पर प्रज्ञा की जुबान चलती रही। कभी उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए बुर्के पर बैन लगाने की बात कही तो कभी बेल पर रिहा होने के मामले में कोर्ट के चक्कर काटती रहीं। इन सब के बीच भोपाल में चुनाव संपन्न हो गए। 

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लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण से पहले एक बार फिर प्रज्ञा ठाकुर सुर्खियों में आ गईं। इस बार प्रज्ञा ने जो कहा वह भाजपा के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने एक बयान में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताते हुए कहा कि वो देशभक्त थे और रहेंगे भी। उन्होंने कहा कि नाथूराम गोडसे को आतंकवादी कहने वाले लोग पहले अपने गिरेबां में झांके। साध्वी ने दावा किया था कि गोडसे को आतंकवादी कहने वाले लोगों को चुनाव में जवाब मिल जाएगा। यह मामला इतना बढ़ा कि भाजपा नेताओं को कुछ बोलना भी नहीं बन पा रहा था। अमित शाह जहां कार्रवाई की बात करते तो शिवराज कन्नी काट जाते। आनन-फानन में उन्हें नोटिस जारी किया गया। आखिरी चरण का प्रचार जिस दिन खत्म हो रहा था उस दिन प्रधानमंत्री और पार्टी के सबसे बड़े नेता नरेंद्र मोदी को यह कहना पड़ा कि वह प्रज्ञा को कभी दिल से माफ नहीं कर पाएंगे। 

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चुनाव संपन्न हुए और नतीजें भी आ गए। प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल से दिग्विजय सिंह को भारी मतों से हराया और उनके विवादित बयानों पर चर्चा बंद हो गई। हालांकि जब प्रधानमंत्री सांसदों से मिल रहे थे तो प्रज्ञा के साथ मुलाकात में वो गर्मजोशी नहीं दिखी जिसके लिए मोदी जाने जाते हैं। धीरे-धीरे विपक्ष अपनी हार के गम में आक्रामकता को भूलता गया और प्रज्ञा का मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया। लेकिन प्रज्ञा कहां ज्यादा दिन तक चुप रहते वाली थीं। सावन की शुरूआत में ही विपक्ष को उन्होंने एक बड़ा मुद्दा दे किया। प्रज्ञा ठाकुर ने एक बार फिर विवादित बयान देते हुए कहा कि वह नाली एवं शौचालय साफ करने के लिए सांसद नहीं बनीं हैं। उन्होंने कहा, "ध्यान रखो, हम नाली साफ करने के लिए नहीं बने हैं। ठीक है ना। हम आपके शौचालय साफ करने के लिए बिलकुल नहीं बनाये गये हैं। हम जिस काम के लिए बनाये गये हैं, वह काम हम ईमानदारी से करेंगे। यह हमारा पहले भी कहना था, आज भी कहना है और आगे भी कहेंगे।"

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प्रज्ञा का यह बयान खुद प्रधानमंत्री के कार्यों की आलोचना कर रहा है। प्रधानमंत्री ने दो अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। इसके तहत मोदी ने स्वयं झाड़ू उठाई थी। इसके बाद कई नेताओं, अभिनेताओं और जिलाधिकारियों सहित कई हस्तियों ने भी इस सफाई अभियान में भाग लिया। कुछ ने तो नालियां तक साफ की। प्रज्ञा का यह बयान इस सफाई अभियान के खिलाफ माना जा रहा है। चुनाव के समय शायद भाजपा हिन्दुत्व के आगे प्रज्ञा के बड़बोलेपन को ज्यादा अच्छे से समझ नहीं पाई और शायद पार्टी इसका खामियाजा भी लगातार भुगत रही है। जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा को वोट दिया है। ऐसे में इस तरह की बयानबाजी पर भी जवाबदेही प्रधानमंत्री की ही बनती है और वह इस बात को बखूबी जानते भी हैं। अब यह देखना होगा कि प्रज्ञा के और ऐसे कितने बयानों से पार्टी और मोदी को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है या फिर समय रहते उनपर कोई कार्यवाई की जाती है। फिलहाल भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर की उनकी इस टिप्पणी के लिए “खिंचाई” की और उन्हे भाजपा मुख्यालय तलब किया गया था जहां नड्डा ने उन्हें बताया कि पार्टी नेतृत्व उनके द्वारा दिये गए बयान से खुश नहीं है। 

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