जम्मू-कश्मीर में AAP को झटका, विवादों में रहे विधायक मेहराज मलिक PSA में गिरफ्तार, केजरीवाल हुए नाराज

Mehraj Malik
ANI
अंकित सिंह । Sep 8 2025 6:04PM

जम्मू-कश्मीर के डोडा में आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक को सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में कड़े जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है। यह पहली बार है जब किसी मौजूदा विधायक को पीएसए के तहत बिना आरोप या सुनवाई के हिरासत में लिया गया है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। यह कार्रवाई कथित तौर पर डिप्टी कमिश्नर के खिलाफ उनके सोशल मीडिया अभियान और सरकारी कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के बीच हुई है।

जम्मू-कश्मीर के आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख और विधायक मेहराज मलिक को सोमवार को डोडा जिले में सार्वजनिक व्यवस्था को कथित रूप से बिगाड़ने के आरोप में कड़े जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यह पहली बार है जब किसी मौजूदा विधायक को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है। पीएसए एक प्रशासनिक कानून है जो कुछ मामलों में बिना आरोप या सुनवाई के दो साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है।

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अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले दिन में 37 वर्षीय आप विधायक को पुलिस ने डाक बंगले में उस समय हिरासत में लिया जब वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने की योजना बना रहे थे। उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा उनके खिलाफ एक डोजियर तैयार करने के बाद, बाद में डोडा के उपायुक्त हरविंदर सिंह के आदेश पर उन्हें पीएसए के तहत भद्रवाह जिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।

वहीं, आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर लिखा कि क्या अपने क्षेत्र की जनता के लिए अस्पताल माँगना इतना बड़ा गुनाह है कि उसके लिए एक चुने हुए MLA को जेल में डाल दिया जाए? मेहराज मलिक आम आदमी पार्टी के शेर हैं। वो हमेशा जनता की आवाज़ बनकर हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे। जेल, धमकियाँ और साज़िशें… ये सब AAP के किसी भी सिपाही को कभी नहीं डरा सकतीं। 

अपने बयानों से अक्सर विवादों में रहने वाले मलिक के खिलाफ यह कार्रवाई सरकारी कर्मचारियों के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बीच हुई है, जो डिप्टी कमिश्नर के समर्थन में सामने आए थे, जब मलिक ने उनके खिलाफ एक अपमानजनक अभियान शुरू करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया था। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने विधायक पर डॉक्टरों सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को "आदतन" गालियाँ देने और युवाओं को सरकारी तंत्र के खिलाफ भड़काने का आरोप लगाया।

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एक बयान में, प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने डिप्टी कमिश्नर की असाधारण सेवा, ईमानदारी और जन कल्याण के प्रति समर्पण के लिए उनकी सराहना की और कहा कि उनके दयालु दृष्टिकोण ने उन्हें सामान्य रूप से डोडा के निवासियों और विशेष रूप से बाढ़ प्रभावित आबादी के लिए "आशा की किरण" बना दिया है। उन्होंने अधिकारी के खिलाफ "अपमानजनक भाषा और निराधार आरोपों" के इस्तेमाल की निंदा करते हुए इसे "दुर्भाग्यपूर्ण, निंदनीय और अस्वीकार्य" बताया और विधायक के "असभ्य और गैर-जिम्मेदाराना" व्यवहार की निंदा की।

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