शाह की नजर मिशन कश्मीर पर, अपना पुराना वादा निभाएगी बीजेपी!

इतिहास पर गौर करें तो आर्टिकल 370 के विरोध में जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1952 में एक नारा दिया था ‘एक देश, दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे। जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के विरोध में जनसंघ संस्थापक द्वारा लगाये गये इस नारे के 67 साल बाद इसकी ओर कदम बढ़ाने के संकेत गृह मंत्री ने अपने वक्तव्य के जरिए दिये हैं।
साल था 1953 जब भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान के तहत भारत सरकार की अनुमति के बिना कोई जम्मू कश्मीर की सीमा में दाखिल नहीं हो सकता था। 52 वर्षीय एक नेता इसके खिलाफत में मुखर होकर सामने आए जिनका नाम था श्यामा प्रसाद मुखर्जी और उन्होंने कश्मीर के लिए रवानगी भरी। जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य में प्रवेश करने पर मुखर्जी को 11 मई 1953 को हिरासत में ले लिया। मुखर्जी के साथ उस वक्त एक और नेता मौजूद थे जो आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री भी रहे नाम था भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने तब के युवा नेता अटल बिहारी वाजपेयी से कहा कि तुम वापस जाओ और देश भर में इस विषय को बताओ कि अपने ही देश के एक भाग में जाने पर मुझे हिरासत में ले लिया गया। ठीक बारह दिन बाद यानि 23 जून 1953 को जेल में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमयी तरीके से मौत हो जाती है। वक्त बीतता है और इस बदलते वक्त के साथ तिलक के प्रभाव और जनमानस के दबाव तले 2 सीटों वाली पार्टी उम्मीदों, आशाओं और वादों की पूर्ति की आकांक्षा के साथ प्रचंड बहुमत हासिल कर देश के तख्त पर विराजमान होती है।
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