Shah ने Manipur के नेताओं से की बात, दंगा पीड़ितों के लिये मुआवजे का ऐलान
शाह ने इंफाल में पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता मणिपुर में शांति और समृद्धि है और सुरक्षा अधिकारियों को शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से कड़ाई से निपटने का निर्देश दिया गया है।
मणिपुर में शांति बहाली के अपने प्रयासों के तहत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को विभिन्न मेइती और कुकी समूहों से मुलाकात की, जिन्होंने शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि वे संकटग्रस्त राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए काम करेंगे। शाह ने इंफाल में पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता मणिपुर में शांति और समृद्धि है और सुरक्षा अधिकारियों को शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से कड़ाई से निपटने का निर्देश दिया गया है।
शाह ने दिन में इंफाल में विभिन्न मेइती समूहों, महिला समूहों और प्रमुख शख्सियतों से मुलाकात की और बाद में जिला मुख्यालय रवाना हुए। उन्होंने स्वदेशी जनजातीय नेताओं के फोरम (आईटीएलएफ), कुकी छात्र संगठन (केएसओ) और अन्य नागरिक समाज संगठनों जैसे विभिन्न समूहों के साथ तीन दौर की बातचीत की। उन्होंने भाजपा के पांच कुकी विधायकों से भी मुलाकात की। आईटीएलएफ के सचिव मुआन टॉम्बिंग ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “हमने मणिपुर से पूर्ण अलगाव की मांग की - राजनीतिक और भौगोलिक दोनों। हमने राष्ट्रपति शासन की भी मांग की क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।”
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने कुकी समाज से आम लोगों की सुरक्षा के लिए और सुरक्षा कर्मियों को भेजने के आश्वासन के साथ “अगले 15 दिनों तक” शांति बनाए रखने का अनुरोध किया। यह पूछे जाने पर कि शाह ने “सिर्फ 15 दिनों” का उल्लेख क्यों किया, टॉम्बिंग ने कहा, “उन्होंने हमें बताया कि लंबे समय तक चली इस झड़प के कारणों का पता लगाने के लिए सीबीआई को विस्तृत जांच का जिम्मा सौंपा जाएगा। साथ ही न्यायिक जांच की भी घोषणा की जाएगी।” इससे पहले दिन में केंद्र और मणिपुर सरकार ने राज्य में जातीय संघर्ष के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की। दंगे में मारे गए व्यक्ति के परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी जाएगी।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि मुआवजे की राशि केंद्र और राज्य सरकार बराबर-बराबर वहन करेंगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के बीच सोमवार रात को मंत्रिपरिषद की मौजूदगी में हुई बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। इस बैठक में यह सुनिश्चित करने का भी फैसला किया गया कि बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए पेट्रोल, एलपीजी गैस, चावल और अन्य खाद्य सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुएं अधिक मात्रा में उपलब्ध कराई जाएंगी। शाह ने इंफाल में मेइती महिला नेताओं (मीरा पैबी) के एक समूह के साथ एक बैठक से अपने दिन की शुरुआत की और बाद में प्रमुख नागरिकों और नागरिक समाज समूह के साथ बैठकें कीं। गृह मंत्री ने कुकी बहुल चुराचांदपुर जिले की भी यात्रा की, जहां उन्होंने प्रमुख व्यक्तियों और नागरिक संस्थाओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।
शाह ने ट्वीट किया, “मणिपुर में महिला नेताओं (मीरा पैबी) के एक समूह के साथ बैठक की। मणिपुर के समाज में महिलाओं की भूमिका के महत्व को दोहराया। हम सब मिलकर राज्य में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” इसके बाद उन्होंने चुराचांदपुर रवाना होने से पहले सचिवालय में उन्होंने कई सीएसओ समूहों और मेइती समुदाय की प्रमुख हस्तियों से मुलाकात की। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, “आज इंफाल में विभिन्न नागरिक संस्थाओं के सदस्यों के साथ सार्थक चर्चा हुई। उन्होंने शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि हम साथ मिलकर मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान देंगे।”
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक, शाह ने सुबह इंफाल में प्रमुख हस्तियों के साथ (अलग से) बैठक की, जिन्होंने शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया और यह भी बताया कि वे राज्य में शांति बहाल करने की दिशा में काम करेंगे। गृह मंत्री ने मणिपुर के राजनेताओं के साथ अलग से एक बैठक भी की। चुराचांदपुर के शाह के दौरे के बाद शाह के कार्यालय ने ट्वीट किया, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के चुराचांदपुर में प्रमुख व्यक्तियों और नागरिक संस्थाओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।”
चुराचांदपुर रवाना होने से पहले, उन्होंने प्रमुख हस्तियों, बुद्धिजीवियों, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों के साथ-साथ नौकरशाहों के एक समूह के साथ बातचीत की। बाद में शाम को शाह ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह व वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक की। उन्होंने इंफाल में सर्वदलीय बैठक भी की। उन्होंने ट्वीट किया, “इंफाल में मणिपुर पुलिस, सीएपीएफ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। मणिपुर की शांति और समृद्धि हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, उन्हें शांति भंग करने वाली किसी भी गतिविधि से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया।”
शाह बुधवार को मोरेह और कांगपोकपी इलाकों का दौरा करेंगे। वह मोरेह में विभिन्न स्थानीय समूहों के प्रतिनिधिमंडलों के साथ बातचीत करेंगे और उसके बाद कांगपोकपी में नागरिक समाज संगठनों के साथ बैठक करेंगे। मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका ने शाह के साथ सभी बैठकों में भाग लिया। भल्ला और डेका शाह के साथ यात्रा कर रहे हैं। बीती रात इंफाल पहुंचने के बाद शाह ने मुख्यमंत्री, कुछ कैबिनेट मंत्रियों, अधिकारियों और कुछ राजनीतिक नेताओं के साथ बैठक की। सूत्रों ने कहा कि शाह मणिपुर के चार दिवसीय दौरे पर हैं, जिस दौरान वह स्थिति का आकलन करने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आगे के कदमों की योजना बनाने के लिए कई दौर की सुरक्षा बैठकें करेंगे।
तीन मई को मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद गृह मंत्री पहली बार पूर्वोत्तर राज्य का दौरा कर रहे हैं। मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है। कुछ सप्ताह की खामोशी के बाद रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई। अधिकारियों ने कहा कि संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है। मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी। अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मेइती समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था। आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे।
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