सिसोदिया ने पर्यावरण सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

[email protected] । Aug 17 2016 4:47PM

सिसोदिया ने जंग को पत्र लिखकर राजधानी में चीनी मांझे पर प्रतिबंध की मसौदा अधिसूचना जारी करने में विलंब करने के लिए पर्यावरण सचिव चंद्राकर भारती के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल नजीब जंग को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी में चीनी मांझे पर प्रतिबंध की मसौदा अधिसूचना जारी करने में विलंब करने के लिए पर्यावरण सचिव चंद्राकर भारती के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है। जंग को लिखे पत्र में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारती स्वतंत्रता दिवस से पहले अधिसूचना जारी करने में ‘‘विफल’’ रहे जबकि तथ्य यह है कि पर्यावरण मंत्री ने पांच अगस्त को इसे मंजूरी दे दी थी और इसके बाद उपराज्यपाल ने भी इस पर अपनी मंजूरी दे दी।

उन्होंने इसे वरिष्ठ नौकरशाह के मुख्य कर्तव्य में ‘‘घोर लापरवाही’’ का मामला बताया। 15 अगस्त को पतंग की डोर से गर्दन कट जाने से तीन लोगों की मौत हो गई जिसमें दो बच्चे और 22 वर्ष का एक व्यक्ति शामिल है। दिल्ली पुलिस का एक उपनिरीक्षक भी गर्दन काट जाने से गंभीर रूप से घायल हो गया। सिसोदिया ने कहा, ‘‘पर्यावरण सचिव चंद्राकर भारती द्वारा समय पर कार्रवाई नहीं करने से बाहरी रिंग रोड पर दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से जान जाने की घटनाएं हुईं।’’ सिसोदिया ने कहा, ‘‘इसी मुताबिक यह प्रस्ताव किया जाता है कि आदरणीय उपराज्यपाल उक्त अधिकारी के खिलाफ आवश्यक अनुशासनिक कार्रवाई करें जो नागरिकों की सुरक्षा के प्रति काफी असंवेदनशील हैं।’’

केजरीवाल सरकार ने मंगलवार को मसौदा अधिसूचना जारी कर चीनी मांझे की बिक्री, निर्माण और संग्रहण पर प्रतिबंध लगा दिया। निर्देशों का उल्लंघन करने पर पांच वर्ष की कैद या एक लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘पर्यावरण मंत्री के प्रस्ताव (अधिसूचना पर) को उपराज्यपाल को मेरे कार्यालय के माध्यम से पांच अगस्त को भेजा गया और उपराज्यपाल ने इसे आठ अगस्त को मंजूरी दे दी थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एलजी के कार्यायल से नौ अगस्त को फाइल मिली और इसे उपमुख्यमंत्री के कार्यालय, पर्यावरण मंत्री के कार्यालय, मुख्यमंत्री के कार्यालय और पर्यावरण सचिव के पास 10 अगस्त की सुबह में अधिसू़चना जारी करने के लिए भेजा गया।’’ एक अधिकारी ने कहा कि उपराज्यपाल सेवाओं के प्रभारी हैं और उन्हें संबंधित अधिकारी से जवाब मांगना चाहिए।

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