निठारी कांड में स्पेशल CBI कोर्ट का बड़ा फैसला, सुरेंद्र कोली को सुनाई गई फांसी की सजा

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अधिवक्ता देवराज सिंह ने बताया कि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 364 के तहत आजीवन कारावास और आईपीसी की धारा 302 के तहत मौत की सजा सुनाई है। जबकि मनिंदर सिंह पंधेर को इमोरल ट्रैफिक एक्ट की धारा 5 के तहत 7 साल की सजा सुनाई है।

नयी दिल्ली। नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड को शायद ही कोई भूल पाया हो। इस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। जिसमें सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को दोषी करार दिया। जबकि मनिंदर सिंह पंधेर को इमोरल ट्रैफिक एक्ट की धारा में दोषी पाया। आपको बता दें कि सुरेंद्र कोली को पहले ही 13 मामलों में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है और 14वें मामले में सीबीआई कोर्ट ने भी फांसी की सजा सुनाई है। 

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समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में अधिवक्ता देवराज सिंह ने बताया कि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 364 के तहत आजीवन कारावास और आईपीसी की धारा 302 के तहत मौत की सजा सुनाई है। जबकि मनिंदर सिंह पंधेर को इमोरल ट्रैफिक एक्ट की धारा 5 के तहत 7 साल की सजा सुनाई है।

कई मामलों में हो चुकी है फांसी

सुरेंद्र कोली को 13 मामलों में पहले ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है और तीन मामलों में सबूतों के अभाव के चलते इन्हें बरी किया जा चुका है। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने साल 2017 में पिंकी सरकार की हत्या मामले में सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंधेर को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इस मामले में अपहरण, बलात्कार और हत्या का दोषी पाए गए थे। जबकि निठारी कांड से जुड़े एक अन्य मामले में भी सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।  

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क्या है पूरा मामला

साल 2006 में निठारी गांव की एक कोठी में नरकंकाल मिला था। जबकि कोठी के पास मौजूद नाले से बच्चों के अवशेष बरामद हुए थे। दरअसल, निठारी कांड का पूरा खुलासा लापता लड़की पायल की वजह से हुआ था। यह मामला गाजियादाब की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में चल रहा था। जहां पर सुरेंद्र कोली को फांसी की और मनिंदर सिंह पंधेर को 7 साल की सजा सुनाई गई है। आपको बता दें कि एक मामले में राष्ट्रपति द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद इन्हें फांसी होनी थी लेकिन फिर देरी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने फांसी को निरस्त कर दिया था।

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