अत्याचार निरोधक कानून को J&K में भी लागू करने के सुझाव पर राज्य प्रशासन से विचार किया जाएगा: शाह

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[email protected] । Jul 3 2019 7:04PM

गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों के विरुद्ध आपराधिक मामलों के निस्तारण का ब्योरा देते हुये बताया कि इस तरह के मामलों में पूरे देश में दोषसिद्धि की दर 46 प्रतिशत है। सदन के पटल पर पेश 2014 से 2016 तक के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में अनुसूचित जातियों के खिलाफ आपराधिक मामले घटे हैं जबकि उत्तर प्रदेश में इजाफा दर्ज किया गया।

नयी दिल्ली। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों के विरुद्ध अपराधों को रोकने के लिये देश के सभी राज्यों में लागू अत्याचार निरोधक कानून को जम्मू कश्मीर में भी लागू करने के सुझाव पर केन्द्र सरकार राज्य प्रशासन के साथ विचार विमर्श कर कोई फैसला करेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में बताया, ‘‘इस सुझाव पर जम्मू कश्मीर के प्रशासन से चर्चा करने के बाद कोई फैसला किया जायेगा।’’ उन्होंने कांग्रेस के पी एल पुनिया के उस पूरक प्रश्न के जवाब में यह बात कही जिसमें उन्होंने सरकार से सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही यह कानून लागू नहीं होने का हवाला देते हुये पूछा था कि राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लागू है, क्या सरकार इस कानून को वहां लागू करने पर विचार करेगी। 

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इससे पहले गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों के विरुद्ध आपराधिक मामलों के निस्तारण का ब्योरा देते हुये बताया कि इस तरह के मामलों में पूरे देश में दोषसिद्धि की दर 46 प्रतिशत है। सदन के पटल पर पेश 2014 से 2016 तक के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में अनुसूचित जातियों के खिलाफ आपराधिक मामले घटे हैं जबकि उत्तर प्रदेश में इजाफा दर्ज किया गया।

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