‘हिंदुत्व’ की सफलता का मतलब यह होगा कि भारत की अवधारणा का अंत हो गया: थरूर

‘एलेफ बुक कंपनी’ द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में थरूर ने हिंदुत्व और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की आलोचना की है। उनका कहना है कि ये भारतीयता के बुनियादी पहलू के लिए चुनौती हैं। अपने ‘हिंदू पाकिस्तान’ वाले बयान से संबंधित विवाद को समर्पित एक पूरे अध्याय में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने सत्ताधारी पार्टी की ओर से पाकिस्तान का हिंदुत्व वाला संस्करण बनाने के प्रयास की निंदा की थी क्योंकि इसके लिए हमारा स्वतंत्रता आंदोलन नहीं था और न ही यह भारत की अवधारणा है जिसे हमारे संविधान में समाहित किया गया।’’ वह लिखते हैं, ‘‘यह सिर्फ अल्पसंख्यकों के बारे में नहीं है जैसा भाजपा हमें मनवाना चाहेगी। मेरे जैसे बहुत सारे गौरवान्वित हिंदू हैं जो अपनी आस्था के समावेशी स्वभाव को संजोते हैं और अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के लोगों की तरह असहिष्णु एवं एक धर्म आधारित राज्य में रहने का इरादा नहीं रखते।’’ थरूर ने कहा, ‘‘हिंदुत्व हिंदू धर्म नहीं है। यह एक राजनीतिक सिद्धांत है, धार्मिक नहीं है।’’#TheBattleOfBelonging may be my most important contribution to the public debate we ought to be having about our nationhood, before India is pushed & pressed into being something other than the country Mahatma Gandhi fought to free. Agree or disagree, but do read the book! https://t.co/odDD7NAEqh
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) October 31, 2020
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सीएए की आलोचना करते हुए थरूर ने कहा कि यह पहला कानून है जो देश की उस बुनियाद पर सवाल करता है कि धर्म हमारे पड़ोस और हमारी नागरिकता को तय करने का पैमाना नहीं हो सकता। उनके मुताबिक, यह संशोधित कानून एक समावेशी राज्य के तौर पर भारत को लेकर जो धारणा है उसपर भी चोट करता है। हिंदुत्व के संदर्भ में कांग्रेस नेता इस पुस्तक में लिखते हैं, ‘‘हिंदुत्व आंदोलन 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का प्रतिबिंब है। इससे संबंधित बयानबाजी से उस कट्टरता की गूंज सुनाई देती है जिसे खारिज करने के लिए भारत का निर्माण हुआ था। उन्होंने कहा कि इस हिंदुत्व की सफलता का मतलब यह होगा कि भारतीय अवधारण का अंत हो गया। एआईएमआईएम नेता वारिस पठान के ‘भारत माता की जय’ का नारा नहीं लगाने से जुड़े विवाद का उल्लेख करते हुए थरूर ने कहा कि कुछ मुस्लिम कहते हैं कि ‘हमे जय हिंद, हिंदुस्तान जिंदाबाद, जय भारत कहने के लिए कहिए, लेकिन ‘भारत माता की जय’ कहने के लिए मत कहिए।’ उन्होंने कहा, ‘‘यह संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी देता है और हमें चुप रहने की भी आजादी देता है। हमें दूसरों के मुंह में अपने शब्द नहीं डाल सकते।
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