सरकार द्वारा राजस्व का एक-एक पैसा बचाने के लिए सफल प्रयास किए गये --मनोहर लाल

 Manohar Lal

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व को देखते हुए 150 करोड़ रुपये में सहमति जताने वाले बोलीदाता को यह कार्य दिया जाना था, लेकिन एक व्यक्ति ने न्यायालय में जाकर यह पूरी प्रक्रिया रद्द करवा दी। जिससे राजस्व का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि 115 करोड़ रुपये से लेकर अंततः 92.12 करोड़ रुपये में नीलामी हुई, जिससे 22.88 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई है।

चंडीगढ़ ।  मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान आज भिवानी जिले के डाडम क्षेत्र में अवैध खनन पर लाए गये ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि सरकार ने राजस्व बढ़ोतरी के लिए डाडम में खनन कार्य 115 करोड़ रुपये की बोली लगाने वाले मैसर्स सुन्दर मार्केटिंग एसोसिएट और कर्मजीत सिंह एण्ड कम्पनी लिमिटेड के संयुक्त उद्यम को 10 साल के लिए दिया था।

 

इस दौरान वेदपाल नाम के एक व्यक्ति ने 150 करोड़ रुपये में डाडम कार्य को करने की सहमति दी और सरकार ने उसे यह कार्य आवंटित कर दिया। लेकिन वेदपाल का चेक डिसऑनर हो गया। तत्पश्चात इसके लिए दोबारा से 2 बार नीलामी की गई, जिसमें कोई भी बोलीदाता 115 करोड़ रुपये में इस कार्य के लिए नहीं आया और यह निलामी असफल रही। इसके बाद तीसरे चक्र में इसे 92.12 करोड़ रुपये में नीलाम किया गया।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व को देखते हुए 150 करोड़ रुपये में सहमति जताने वाले बोलीदाता को यह कार्य दिया जाना था, लेकिन एक व्यक्ति ने न्यायालय में जाकर यह पूरी प्रक्रिया रद्द करवा दी। जिससे राजस्व का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि 115 करोड़ रुपये से लेकर अंततः 92.12 करोड़ रुपये में नीलामी हुई, जिससे 22.88 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई है। उन्होंने कहा कि यहां पर भ्रष्टाचार का कोई सवाल पैदा ही नहीं होता, न ही किसी को फायदा पहुंचाने का कोई सवाल पैदा होता है। राज्य में कोई भी अवैध खनन का मामला नहीं है तथा खनिजों की चोरी की छुटपुट घटनाएं संज्ञान में आ रही हैं, जिन्हें कानून के अनुसार निपटाया जा रहा है।   उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा राजस्व का एक-एक पैसा बचाने के लिए सफल प्रयास किए गये।  

 

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विधानसभा के उपरांत पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि डाडम खनन मामले में ओपन बिड में कोई ठेकेदार नहीं आया, परंतु साजिश रच कर तकनीकी कारणों से इस बिड को रद्द करवा दिया। याचिकाकर्ता ने न्यायालय के समक्ष यह कहां था कि खनक पहाड़ की एचएसआईआईडीसी को नीलामी करने से मुझे नुकसान हो रहा है, जिसके कारण ही याचिकाकर्ता की याचिका ख़ारिज हुई थी। इससे राजस्व की हानि हुई है और इस प्रकरण की छानबीन करवाई जाएगी।

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उन्होंने कहा कि विपक्ष का आरोप है कि अपात्र बोलीदाता को लाभ पहुँचाने के लिए लीज़ दी गयी, जोकि बेबुनियाद है, क्योंकि बाद में बोली 22 करोड़ रुपये कम में छूटी थी। कुछ लोगों की गलत मानसिकता से प्रदेश को 22 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि हमनें नई खनन पालिसी बनाई, जिसमें खनन प्रक्रिया को सरल बनाया गया है और पारदर्शी तरीके से खनन कार्यों का नीलामी की जा रही है।

 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि डाडम मामले की जांच के लिए 3 अलग अलग कमेटियां कार्यरत हैं। यदि तीनों कमेटी की रिपोर्ट एक जैसी हुई तो सरकार आगामी कार्रवाई अमल में लाएगी, परंतु यदि कमेटियों की रिपोर्ट अलग हुई तो किसी दूसरी एक्सपर्ट एजेंसी से जांच कराएंगे, लेकिन किसी दोषी को बख्शेंगे नहीं। उन्होंने बताया कि अभी जस्टिस प्रीतमपाल से जो अंतरिम रिपोर्ट मिली है, उसमें कहा गया है कि 109 मीटर तक खोदने का काम पिछले ठेकेदार ने किया। परंतु अप्रैल माह तक अंतिम रिपोर्ट आएगी। उन्होंने कहा कि 2013 में पिछली सरकार ने डाडम साइट को आक्शन किया, लेकिन एचएसआईआईडीसी का बहाना बनाकर बड़े पक्षकार ने काम करने से मना किया, जिसके बाद ऐजी की सलाह पर हमने 49 फीसदी के हिस्सेदार को काम दिया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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