स्टर्लिंग ग्रुप के प्रमोटरों को सुप्रीम कोर्ट की राहत, 5100 करोड़ रु. जमा करने पर संदेसरा बंधुओं के केस बंद होंगे

Supreme Court
ANI
अभिनय आकाश । Nov 25 2025 4:35PM

एक छोटे से चाय-व्यापार व्यवसाय को एक विविध समूह में बदलने वाले अरबपति भाई, भारतीय बैंकों से 1.7 अरब डॉलर से अधिक की धोखाधड़ी के आरोप के बाद 2017 में देश छोड़कर भाग गए थे। बाद में, उन्हें 2018 में किंगफिशर एयरलाइंस के संस्थापक विजय माल्या और हीरा व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के साथ 14 भगोड़े आर्थिक अपराधियों की सूची में शामिल किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में ₹5,100 करोड़ के समझौते के तहत स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड और स्टर्लिंग एसईजेड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के प्रवर्तकों, भगोड़े व्यवसायियों नितिन और चेतन संदेसरा के खिलाफ सभी आपराधिक कार्यवाही रद्द करने पर सहमति जताई है। एक छोटे से चाय-व्यापार व्यवसाय को एक विविध समूह में बदलने वाले अरबपति भाई, भारतीय बैंकों से 1.7 अरब डॉलर से अधिक की धोखाधड़ी के आरोप के बाद 2017 में देश छोड़कर भाग गए थे। बाद में, उन्हें 2018 में किंगफिशर एयरलाइंस के संस्थापक विजय माल्या और हीरा व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के साथ 14 भगोड़े आर्थिक अपराधियों की सूची में शामिल किया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने बैंक धोखाधड़ी से जुड़े स्टर्लिंग ग्रुप के प्रमोटर नितिन और चेतन संदेसरा को बड़ी राहत देते हुए आदेश दिया है कि यदि वे 5100 करोड़ रुपए जमा कर देते हैं, तो उनके खिलाफ चल रही सभी लंबित आपराधिक और जांच कार्यवाहियां पूर्णतः समाप्त मानी जाएंगी। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने यह आदेश पिछले सप्ताह जारी करते हुए स्पष्ट किया कि यह फैसला मामले की विशिष्ट परिस्थितियों में दिया गया है और इसे भविष्य में मिसाल के तौर पर नहीं देखा जाएगा।

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संदेसरा भाई, जिन्होंने चाय के छोटे व्यवसाय से शुरुआत कर स्टर्लिंग ग्रुप बनाया, पर 2017 में भारतीय बैंकों से 1.7 बिलियन डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रु.) की धोखाधड़ी का आरोप लगा था। इसके बाद वे देश छोड़कर फरार हो गए और 2018 में विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के साथ 14 भगोड़े आर्थिक अपराधियों की सूची में शामिल किए गए। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार कथित घोटाले की रकम 5383 करोड़ रुपए थी। बाद में बैंकों के साथ वन टाइम सेटलमेंट में भारतीय कंपनियों पर 3826 करोड़ और विदेशी गारंटर कंपनियों पर 2935 करोड़ रु. बकाया निर्धारित हुआ, जिससे कुल राशि 6761 करोड़ रुपए बनी। याचिकाकर्ता अब तक विभिन्न चरणों में 3507.63 करोड़ चुका चुके थे। इसके अलावा आईबीसी कार्रवाई से 1192 करोड़ की अतिरिक्त रिकवरी हुई, जिससे बकाया 2061 करोड़ बचता था।

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