Maharashtra Karnataka Dispute Part II | महाजन कमीशन का सुझाव मान लेते तो सुलझ जाता विवाद?

Maharashtra Karnataka Dispute Part II
prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jan 28 2023 12:55PM

70 के दशक में जब मामला तूल पकड़ने लगा तो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मैसूर के मुख्यमंत्री एस निजलिंग्पा और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी नाइक के बीच समाधान के लिए कई दौर की बैठकें हुई।

प्राय: आपने देखा होगा कि किसी विवाद या समस्या को इसलिए टाला जाता है क्योंकि फैसला करने से एक पक्ष के नाराज होने का डर बना रहता है। लेकिन कलांतर में वहीं समस्या जटिलता की श्रेणी में आ जाती है और फिर उसका हल तलाशना बेहद ही कठिन हो जाता है। वैसे तो भारत देश में कई ऐसे राज्य हैं जिनमें सीमा को लेकर विवाद जारी है। इनमें पूर्वोत्तर राज्यों में अधिक फसाद है। लेकिन ताजा मामला बेलगाम का है। साल 1956 में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन शुरू हुआ। 1 नवंबर 1956 को केंद्र सरकार ने बॉम्बे स्टेट (बॉम्बे प्रेसिडेंसी) के बेलगाम और 10 तालुकाओं को कन्नड़भाषी मैसूर स्टेट में मिला दिया।

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1973 में मैसूर का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया। मराठी भाषी महाराष्ट्र का गठन 1960 में हुआ लेकिन शुरू से ही महाराष्ट्र का दावा कर्नाटक को दिए गए चार जिलों विजयपुरा, बेलगावी (बेलगाम), धारवाड़, उत्तर कन्नड़ा के 814 गांवों पर रहा है। यहां मराठी भाषा बोलने वाले बहुसंख्यक हैं। महाराष्ट्र इन चार जिलों के 814 गांवों पर अपना दावा करता रहा है। वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक भी महाराष्ट्र की सीमा से लगते कन्नड़ भाषी 260 गांवों पर अपना दावा करता है। 

महाजन कमीशन का सुझाव मान लेते तो सुलझ जाता विवाद?

70 के दशक में जब मामला तूल पकड़ने लगा तो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मैसूर के मुख्यमंत्री एस निजलिंग्पा और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी नाइक के बीच समाधान के लिए कई दौर की बैठकें हुई। लेकिन नतीजा नहीं निकला। फिर दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत सरकार ने अक्टूबर 1966 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश मेहरचंद महाजन की अध्यक्षता में महाजन कमीशन बनाया। रिपोर्ट तैयार करने के लिए जस्टिस महाजन ने गावों और शहरी इलाकों का दौरा किया। समाज में आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के पास भी गए जिससे उनके भाषीयी ज्ञान और बच्चों की शादियां किन इलाकों में हुई है इसकी जानकारी ली जा सके। महाजन कमीशन ने 1967 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमीशन ने 264 गांवों को महाराष्ट्र में मिलाने और बेलगाम के साथ 247 गावों को कर्नाटक में ही रहने देने की सिफारिश की। महाजन कमीशन की रिपोर्ट को महाराष्ट्र की तरफ से नकार दिया गया। महाराष्ट्र ने सिफारिशों को पक्षपाती करार दिया और कहा कि इनमें कोई तर्क नहीं है। जबकि इसके ठीक उलट कर्नाटक ने सिफारिशों से सहमति जताते हुए इसे लागू करने की मांग की। हालांकि केंद्र सरकार ने महाजन कमीशन की सिफारिश को नहीं लागू किया और विवाद यूं ही चलता रहा। महाराष्ट्र कर्नाटक विवाद की खास सीरिज के तीसरे भाग में हम इसके सामाजिक और आर्थिक असर के बारे में जानेंगे। आगे की जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

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